इस लेख में आप जानेगें कि कैसे आप अपनी जन्म कुंडली और अपने नाम से अपनी जन्म राशि और नाम राशि को जान सकते हैं। इसके साथ ही आप लग्न कुंडली, कुंडली के बारह भाव व 12 राशियों के नाम के बारे में भी जानेगें।
लग्न कुंडली क्या है?
लग्न कुंडली में 12 भाव होते हैं। कुंडली के प्रत्येक भाव में एक राशि होती है। कुंडली के प्रथम भाव में जो राशि होती है वह उस कुंडली का लग्न कहलाता है।
लग्न कुंडली में 12 भाव के साथ-साथ 12 राशियां और नौ ग्रह होते हैं। 12 भाव में 12 राशियां होती है। उदाहरण के लिए नीचे दी गयी कुंडली को देखें।
कुंडली में 12 भाव दिखाये गये हैं। प्रत्येक भाव में एक नम्बर लिखा है जो उस भाव की राशि को दिखाता है। किसी भी पत्रिका के प्रथम भाव में जो नम्बर लिखा है वह उसका लग्न है।
जैसे इस कुंडली के प्रथम भाव में 5 नम्बर लिखा है और 5 से हम सिंह राशि को देखते है इसलिए इस कुंडली का लग्न सिंह हुआ। मतलब यह सिंह लग्न की कुंडली है। आगे हम कुंडली के सभी भावों और राशियों के बारे में बिस्तार से जानेगें।
जन्म राशि कैसे जानें?
अपनी जन्म राशि आप अपनी जन्म कुुंडली से जान सकते हो। जन्म राशि जानने के लिए आपको अपनी लग्न कुंडली देखनी है और उसमें चन्द्रमा कि स्थिति देखनी है कि चन्द्रमा कहां स्थित है।
उदाहरण के लिए नीचे एक कुंडली दी जा रही है। इस कुंडली में आप देख सकते हैं कि चन्द्रमा पाचवें घर में 10 नम्बर मतलब मकर राशि में बैठा है इसलिए इस जातक की जन्म राशि मकर होगी।
अपनी नाम राशि कैसे जानें?
आप अपनी नाम राशि को अपने नाम के प्रथम अक्षर के द्वारा जान सकते हो। जैसे अगर आपका नाम आकाश है तो आपके नाम का प्रथम अक्षर अ हुआ जिसका मतलब आपकी राशि तालिका की प्रथम पंक्ति के अनुसार मेष हुई।
नाम का प्रथम अक्षर | नाम राशि |
चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ | मेष |
ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो | वृषभ |
का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह | मिथुन |
ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो | कर्क |
मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे | सिंह |
ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो | कन्या |
रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते | तुला |
तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू | वृश्चिक |
ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे | धनु |
भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी | मकर |
गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा | कुंभ |
दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची | मीन |
कुंडली के बारह भाव व उनकी राशियां:
सबसे पहले हम कुंडली के 12 भाव के बारे में जानेगें। कुंडली में प्रत्येक भाव का अपना महत्व होता है।
प्रथम भावः यह भाव लग्न कहलाता है। प्रथम भाव व्यक्ति के स्वभाव, शरीर, रंग, आकृति, मस्तिषक, विवेक को दिखाता है।
द्धितीय भावः यह भाव आपकी वाणी, कुटुम्ब, संचित धन, दायीं आंख को दर्शाता है।
तृतीय भावः इस भाव से हम छोटे भाई बहन, साहस, पराक्रम, कम दूरी की यात्रा, संघर्ष, गला, आयु का विचार करते हैं।
चतुर्थ भावः इस भाव से भूमि, भवन, मां, वाहन, सुख, फेफड़े, छाती का ऊपरी भाग का विचार किया जाता है।
पंचम भावः इस भाव से संतान, शिक्षा, पद प्राप्ति, प्रेम प्रसंग, बुद्धिमत्ता का विचार किया जाता है।
छठा भावः इस भाव से रोग, ऋण, दुर्घटना, कोर्ट केस, शत्रु का विचार किया जाता है।
सप्तम भावः यह भाव विवाह, जीवनसाथी, व्यवसाय, पार्टनर आदि को दर्शाता है।
अष्टम भावः यह भाव आयु, मृत्यु, विरासत, शोध, षडयंत्र, आदि को दर्शाता है।
नवम् भावः इस भाव से पिता, भाग्य, धर्म में रूचि, लंबी यात्राए, गुरू, उच्च शिक्षा का विचार किया जाता है।
दशम भावः इस भाव से जीविका, मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा आदि का विचार किया जाता है।
ग्यारहवां भावः इस भाव से बडे भाई, बहन, आय, लाभ, मित्र, छोटी-मोटी बिमारी का विचार किया जाता है।
बारहवां भावः इस भाव से अस्पताल के खर्चे, जेल, शैया सुख, व्यय, मोक्ष, वायां नेत्र आदि का विचार किया जाता है।
12 राशियों के नाम | 12 राशियों के स्वामी , तत्व और स्वभाव
कुंडली में 12 राशियां होती हैं। जो निम्न प्रकार है।
1- मेष राशि | राशि स्वामीः मंगल ग्रह | राशि तत्वः अग्नि | चर |
2- वृषभ राशि | राशि स्वामीः शुक्र | राशि तत्वः पृथ्वी | अचर |
3- मिथुन राशि | राशि स्वामीः बुध | राशि तत्वः वायु | द्विस्वभाव |
4- कर्क राशि | राशि स्वामीः चन्द्रमा | राशि तत्वः जल | चर |
5- सिंह राशि | राशि स्वामीः सूर्य | राशि तत्वः अग्नि | अचर |
6- कन्या राशि | राशि स्वामीः बुध | राशि तत्वः पृथ्वी | द्विस्वभाव |
7- तुला राशि | राशि स्वामीः शुक्र | राशि तत्वः वायु | चर |
8- वृश्र्चिक राशि | राशि स्वामीः मंगल | राशि तत्वः जल | अचर |
9- धनु राशि | राशि स्वामीः बृहस्पति | राशि तत्वः अग्नि | द्विसवभाव |
10- मकर राशि | राशि स्वामीः शनि | राशि तत्वः पृथ्वी | चर |
11- कुंभ राशि | राशि स्वामीः शनि | राशि तत्वः वायु | अचर |
12- मीन राशि | राशि स्वामीः बृहस्पति | राशि तत्वः जल | द्विस्वभाव |
अब यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है, मंगल ग्रह को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है मतलब मंगल ग्रह दो राशियों मेष(1) और वृश्चिक(8) राशियों का स्वामी है। इसी प्रकार शुक्र ग्रह को भी दो राशियों- वृषभ(2) और तुला(7) का स्वामित्व प्राप्त है।
वुध ग्रह को दो राशियों- मिथुन(3) और कन्या(6) राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। वृहस्पति गृह धनु(9) और मीन(12) राशियों के स्वामी हैं। शनि ग्रह मकर(10) और कुंभ(11) दो राशियों के स्वामी हैं।
मंगल- 1,8
वुध- 3,6
बृहस्पति- 9,12
शनि- 10.11
शुक्र- 2,7
चंद्र और सूर्य ग्रह, केवल एक- एक राशियों के स्वामी है।
चंद्र- (4) कर्क राशि
सूर्य- (5) सिंह राशि