शनि ग्रह के उपाय | शनि के कारक तत्व | शनि ग्रह का रत्न

शनि ग्रह को भगवान सूर्य का पुत्र माना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार शनि सूर्य से औसतन डेढ़ अरब किमी. की दूरी पर रहकर 29 वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। शनि  देव के 9 वाहन माने जाते हैं। इनका रंग नीला है। ब्रहापुराण के अनुसार इनके पिता ने चित्ररथ की कन्या से इनका विवाह कर दिया था। इनकी पत्नी परम तेजस्विनि थी। 

एक रात वे पुत्र प्राप्ति की इच्छा से इनके पास पहुंतीं, परन्तु ये विष्णु के ध्यान में मग्न थे। पत्नी प्रतीक्षा करके थक गई। उनका ऋतुकाल निष्फल हो गया और उन्होने  क्रुद्ध होकर शनिदेव को श्राप दे दिया कि आज से जिस पर भी तुम्हारी दृष्टि पड़गी पर नष्ट हो जाएगा।

इस आर्टिकल में आपको शनि के बारें महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही हैं। इस लेख में आप शनि ग्रह के उपाय, शनि के कारक तत्व, रत्न व बीज मंत्र  आदि के बारे में जानेंगें।

 शनि ग्रह के उपाय

शनि ग्रह का व्यक्ति के जीवन में महत्वः

शनि को सभी ग्रहों में सेवक और न्यायधीश का दर्जा प्राप्त है। शनि ग्रह व्यक्ति के रोजगार और आयु का कारक है। शनि व्यक्ति के जीवन में अनुशासन, संघर्ष और सफलता लाता है। शनि व्यक्ति के जीवन में स्थिरता लाता है।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित हो जाता है तो ऐसे व्यक्ति को रोजगार में समस्या आती हैं। ऐसे व्यक्ति के जीवन में संघर्ष और समस्याएं लंबे समय तक चलती हैं। ऐसे व्यक्ति को कानून और और स्नायु तंत्र की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

 शनि के कारक तत्वः

शनि ज्योतिष में आयु, प्राकृतिक आपदायें, बुढापा, निर्धनता, पाप, रोग, भय, गोपनीयता, कारावास, नौकरी, विज्ञान, तेल, खनिज, कामगार, मजदूर सेवक, दासता, कृषि, त्याग, उंचाई से गिरना, अपमान, अकाल, ऋण, कठोर परिश्रम, विष, राख, आत्मत्याग, डकैती, अवरोध, यम, इस्पात, कार्यों में देरी का कारक है।

 शनि ग्रह के अन्य ग्रहों के साथ सम्बंध

 मकर व कुंभ शनि की अपनी राशियां हैं। शनि तुला राशि में (20 अंश तक) उच्च के व मेष राशि में (20 अंश तक) नीच के होते हैं। बुध और शुक्र ग्रह शनि के मित्र व सूर्य, चंद्र तथा मंगल शनि के शत्रु ग्रह माने जाते हैं।

 शनि ग्रह का रत्नः

 शनि ग्रह का भाग्य रत्न नीलम, या नीली है।

 शनि ग्रह का बीज मंत्रः

 ओम् प्रां प्रीं प्रौं सः शनैं नमः

 शनि की दिशाः

 शनि ग्रह पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 शनि की दान योग्य वस्तुएः

 लोहा, काला कपड़ा, काले फूल, काली दाल, काली कीलें, काली गाय। इन वस्तुओं का दान करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति प्राप्त होती है।

 शनि ग्रह का प्रभावः

शनि से प्रभावित व्यक्ति अन्तरमुखी बन जाता है। वह केवल अपने आप के बारे में ही सोचता है। शनि से प्रभावित व्यक्ति दूसरे लोगों के कामों में छोटी-छोटी कमियां निकालता रहता है और वह सभी को नाकाबिल समझता है। वह अपनी कमियों को पहचान नही पाता। वह आलस से भर जाता है व सभी कामों में लेटलतीफी करता है।

 शनि ग्रह से सम्बंधित व्यवसायः

शनि से प्रभावित व्यक्ति सभी प्रकार की उत्तरदायित्व वाली नौकरी व सेवा कार्य करता है। शनि से सम्बंधित कार्यक्षेत्र में लोहा, इस्पात, ईंट, जूते-चप्पल, लकड़ी या पत्थर का काम, तेल का काम, दण्ड देने से सम्बंधित उपकरण आदि है।

 शनि ग्रह के उपायः

  • काले रंग के वस्त्र दान करें।
  • शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें। इसके बाद शनिदेव के मंत्रो का जाप करते हुए सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • बंद घड़ियाँ, खोटे सिक्के, खराब इलैक्ट्रानिक्स सामान अपने घर से हटा दें।
  • मजदूरों की सेवा करें व उनको खाने-पीने के लिए दें।
  • कुत्तो और कौओ को खाना दें।
  • सुबह शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • बासी और खराब खाद्य पदार्थ ना खाएं और जरूरत से ज्यादा भोजन का सेवन ना करें। बहुत देर रात में भोजन ना करें।
  • भोजन में काले चने, काली दाल और लाँग का प्रयोग करें।
  • भोजन स्टील के बर्तनों में करें।
  • दूसरों से खराब वाणी का प्रयोग और खराब व्यवहार ना करें।
  • अपने से नीचे दर्जे के लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें
  • बड़े बाल व बड़े नाखून ना रखें।
  • नियमित रूप से स्नान करें, साफ-सफाई से रहें। अनुशासन में रहें व समय बर्बाद ना करें।
  • एक लोहे का छल्ला मध्यमा उंगली में धारण करें, जूते, चप्पल हमेशा साफ करके ही पहनें।
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