तुंगनाथ मंदिर (Tungnath Temple) का परिचय | तुंगनाथ मंदिर का इतिहास | चन्द्रशिला | चोपता

Tungnath temple

तुंगनाथ मंदिर का परिचय | Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले मे ऊंखीमठ के निकट तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर विश्व में भगवान शिव का व उत्तराखण्ड का सवसे ऊंचाई वाला मंदिर है जिसकी ऊंचाई लगभग 3460 मीटर है।

इस मंदिर का निर्माण हजारो वर्ष हुआ माना जाता है। यह पंच केदारों में से एक केदार है और यहां भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के ह्रदय और भुजाओं की पूजा होती है। 

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 तुंगनाथ की कथा | Tungnath Temple History

 ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में पाण्डवों के विजयी होने पर उन पर अपने  कुल के भाइयों की हत्या का आरोप लगा जिस कारण पाण्डव भगवान कृष्ण के कहने पर भातृहत्या पाप से मुक्ति पाने हेतु भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते थे।

परन्तु भगवान शिव पाण्डवों से नाराज थे और भगवान शिव उन्हे दर्शन नही देना चाहते थे।पांडव भगवान शिव के दर्शन हेतु काशी नगरी गये परन्तु भगवान शिव ने उन्हे वहां दर्शन नही दिये।

इसके बाद पाण्डव भगवान शिव को खोजते हुए हिमालय के केदार नामक श्रंग पर जा पहुंचे। कुलघाती होने के कारण शिवजी ने पाण्डवों को दर्शन देना उचित नही समझा।

उन्होने भैंस (महीष) का स्वरूप धारण कर लिया और भैसों के झुण्ड में सम्मिलित हो गये। महाबली भीम दो विशाल चट्टानों पर पांव रखकर इस तरह खड़े हो गये कि भैंसे उनके पावों के बीच से निकल जायें।

सामान्य भैंसो ने यही किया। परन्तु शिव भगवान जो छदम् रूप से भैंस का रूप धारण किये हुए थे, को यह अपमानजनक लगा। इसलिए उन्होंने अपना सिर जमीन पर मार दिया।

मान्यता अनुसार उनका सिर तो पशुपतिनाथ (नेपाल) निकल गया, परन्तु महाबली भीम ने महर्षि रूपधारी शिव की पूंछ पकड़ ली। फलस्वरूप महीष रूप का पिछला भाग (नितम्ब) इसी स्थल पर रह गया।

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इस दृढ़ संकल्प को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गये और उन्होने पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शिव की नितम्ब रूपी शिला केदारनाथ में पूजी जाती है।

इसी प्रकार शिव की भुजाएं तुंगनाथ में निकली, मुख रूद्रनाथ में, नाभि मदमहेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई। इसलिए इन चारों स्थलों सहित केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है।

ऐसा भी माना जाता है कि पार्वती माता ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विवाह से पहले यहां तप किया था। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा कराया गया था। यह मंदिर चोपता से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

चन्द्रशिला | Tungnath ChandraShila | Tungnath  Track 

तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ (Tungnath Temple) से 1.5 किमी ऊपर स्थित चोटी चन्द्रशिला के नाम से जानी जाती है जो कि समुद्र तल से 4 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

केदारखण्ड के अनुसार यह वह स्थान है जहां चन्द्रमा के द्वारा अपने क्षय रोग के मोक्ष के लिए भगवान शंकर की तपस्या की थी। राजा दक्ष प्रजापति कि सत्ताईस कन्याएं थी।

chandrashila temple

उनमें रोहिणी नाम की कन्या चन्द्रमा द्वारा अत्यधिक प्रेम किये जाने पर राजा दक्ष द्वारा श्राप दिया गया था जिस कारण चन्द्रमा को क्षय रोग हो गया था। उसी श्राप की मुक्ति हेतु चन्द्रमा द्वारा भगवान शंकर की तपस्या इसी स्थान पर की गयी थी तब से इस स्थान को चन्द्रशिला कहा जाता है।

गढ़वाल की हिमालय पर्वतमाला में स्थित इस जगह से पास के अन्य अद्भुत दृष्य वुग्याल, नन्दादेवी, त्रिशूल, केदार. बन्दर पूंछ और चौखम्बा की चोटियों के अद्भुत दृष्य गोचर होते हैं।

चन्द्रशिला ट्रैक दर्शकों के बीच सबसे लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्गों में से एक है। यह मार्ग चोपता से शुरू होकर तुंगनाथ तक 3.5 की खड़ी चढ़ाई पर ट्रेकिंग कर सम्पन्न होता है। शीतकाल में यह मार्ग आवागमन हेतु बन्द रहता है।

चोपता | Tungnath Chopta | Tungnath Chopta Track

चोपता को भारत का मिनि स्विटजरलैंड भी कहा जाता है। चोपता की समुद्र से ऊंचाई 2709 मीटर है। गर्मियों व सर्दियों में भारत के कोने कोने से बहुत सारे पर्यटर यहां घूमने के लिए आते है।

गर्मियों में यहां का मौसम बहुत सुहावना रहता है। गर्मियों में यहां का तापमान 5 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों में यहां का तापमान -7 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों में यहां अक्सर बर्फ पड़ी रहती है विशेषतयः जनवरी में बर्षा होने के बाद।

चोपता अपने सुन्दर दृश्य और घास के मैदान जिन्हे बुग्याल कहा जाता है, के लिए जाना जाता है। आपको यहां आने पर अद्भुत शान्ति महसूस होगी।

गर्मियों में यहां का मौसम बहुत ही सुहावना रहता है इसलिए ज्यादातर पर्यटक जो केदारनाथ, बद्रीनाथ की यात्रा पर आते है, वे सब चोपता घूमने जरूर आते है क्योकिं यहां से 3.5 किमी दूरी पर (Tungnath Temple) भगवान तुंगनाथ का मंदिर है इसलिए ज्यादातर पर्यटक भगवान तुंगनाथ के दर्शन भी करते हैं।

tungnath track

सर्दियों में अगर आप बर्फ पड़ते देखना चाहते हैं तो चोपता इसके लिए बहुत अच्छी जगह है। सर्दियों में विशेषतयः जनवरी में यहां बहुत बर्फ पड़ती है इसलिए ज्यादातर पर्यटक यहां सर्दियों में बर्फ का आनन्द लेने के लिए आते हैं।

चोपता में पर्यटको के लिए बहुत सारे होटल व रिसोर्ट बने हुए हैं जिनमें आप आसानी से अपने परिबार के साथ ठहर सकते हैं। चोपता तक पहुंचने के दो मार्ग हैं पहला ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग, कुंड, ऊखीमठ, चोपता व दूसरा मार्ग है रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, चमोली, गोपेश्वर, मंडल होते हुए।

चोपता से तुंगनाथ से चंद्रशिला ट्रैक टैकिंग के लिए बहुत अच्छा मार्ग है। चोपता में जंगलों और घास के मैदानों में कई ट्रैक उपलब्ध हैं।

इस क्षेत्र में चंद्रशिला, तुंगनाथ और देवरियाताल सबसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग मार्ग हैं। यहां कई तरह के पक्षी जैसे मोनाल पक्षी, कस्तूरी मृग व पिका माउस पाये जाते हैं जिस कारण यह बर्डवॉचर्स व फोटोग्राफर्स के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है।

चोपता में कई तरह की गतिविधियां होती है जैसे- कैम्पिंग, ट्रैकिंग, योग, स्नो ट्रैकिंग, स्नो स्कीइंग, रॉक क्लाइम्बिंग आदि।

चोपता – तुंगनाथ – चंद्रशिला ट्रेक ट्रेकर्स के लिए एक गंतव्य है। चोपता क्षेत्र में जंगलों और घास के मैदानों के माध्यम से कई ट्रेक और ट्रेल्स हैं। चंद्राशिला, तुंगानाथ और देवरियाताल चोपता क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध ट्रेकिंग मार्ग हैं। पक्षियों की बहुतायत के कारण, चोपता बर्डवॉचर्स के बीच लोकप्रिय है।

देवरिया ताल | Deoria Taal

देवरिया ताल उत्तराखंड में ऊंखीमठ से चोपता मार्ग पर सारी गाँव से लगभग 3 किमी की दूरी एक ताल है। इसकी समुद्र से ऊंचाई लगभग 2438 मी है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिन्दू देवी, देवता यहां स्नान करने के लिए आते थे इसलिए यह देवरिया ताल कहा गया। यह भी माना जाता है कि यहां यक्ष द्वारा पांडवो से प्रश्न पूछे गये थे। कुछ मान्यताएं यह भी हैं कि इस झील का निर्माण भीम द्वारा, युधिष्ठर के सुझाव पर अपनी प्यास को बुझाने के लिए किया गया था।

deoria taal

तुंगनाथ कैसे जाये | Tungnath Route

तुंगनाथ ( Tungnath Temple) की यात्रा के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश आना पड़ेगा। ऋषिकेश की दूरी हरिद्धार से 20 किमी और देहरादून से 50 किमी है।

अगर आप देश के किसी भी कोने से आना चाहते है और आप हवाईजहाज के द्वारा आना चाहते हो तो आपको सबसे पहले जौलीग्रांट हवाई अड्डा पर आना पड़ेगा। आजकल जौलीग्रांट हवाईअड्डे के लिए अधिकतर बड़े शहरों से फ्लाईट  उपलब्ध है।

अगर आप तुंगनाथ के लिए टैक्सी बुक करना चाहतें है तो यहां क्लिक करें– Click here

 1- जौलीग्रांट हवाईअड्डे से ऋषिकेश की दूरी- 25 किमी

2- हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी- 20 किमी

3- देहरादून से ऋषिकेश की दूरी- 50 किमी

अगर आप देश के किसी दूसरे शहर से हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून  आते हैं और आपके पास अपना वाहन नही है तो आपके पास दो विकल्प हैं पहला विकल्प है आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से चोपता तक टैक्सी बुक कर सकते हैं।

टैक्सी आप आनलाईन या आफलाइन बुक कर सकते हैं या फिर आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से रोडवेज बस ले सकते हैं जो आपको सीधे गुप्तकाशी के लिए मिलेगी। परन्तु रोडवेज बसों की संख्या कम होने के कारण आपको परेशानी हो सकती है।

 4- ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी- 70 किमी

5- देवप्रयाग से श्रीनगर की दूरी- 35 किमी

6- श्रीनगर से रूद्रप्रयाग की दूरी- 34 किमी

 जब आप रूद्रप्रयाग पहुंच जाते हो तो रूद्रप्रयाग से एक रास्ता मंदाकिनी नदी के किनारे- किनारे गुप्तकाशी के लिए चला जाता है। दूसरा रास्ता अलकनंदा नदी के किनार- किनारे बद्रीनाथ के लिए चला जाता है।

आप अपने वाहन से आ रहें हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि रूद्रप्रयाग से लगभग चार किमी पहले एक बाईपास आयेगा जहां से एक रास्ता ब्रिज से होता हुआ केदारनाथ के लिए चला जाता है और एक रास्ता रूद्रप्रयाग के अंदर से होता हुआ बदरीनाथ के लिए चला जाता है।

 7- रूद्रप्रयाग से ऊंखीमठ की दूरी- 45 किमी

8- ऊॅंखीमठ से चोपता की दूरी- 20 किमी

9- चोपता से तुंगनाथ मंदिर की दूरी- 3.5 किमी

10 – तुंगनाथ से चंद्रशिला की दूरी – 1.5 किमी

चोपता पहुंचने के बाद आपके पास दो विकल्प हैं- पहले विकल्प में आप  मंदिर तक पैदल यात्रा कर सकते हैं। दूसरे विकल्प के तौर पर आप घोड़े के द्वारा भी मंदिर पहुंच सकते हैं।

तुंगनाथ कब जाये | Tungnath Yatra Time

तुंगनाथ धाम की यात्रा, मई में कपाट खुलने के बाद शुरू हो जाती है। ज्यादातर श्रद्धालु मई- जून माह में तुंगनाथ आते है। 2023 में तुंगनाथ जाने का सबसे उपर्युक्त समय 6 मई से 30 जून तक और 1 सितम्बर से  (भैयादूज) कपाट बंद होने तक। 30 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू हो जाता है और लगभग 30 अगस्त तक रहता है। बारिश के मौसम में पहाड़ो पर लैण्ड स्लाइड का खतरा रहता है और इसके कारण रास्ता भी बंद हो सकता है। इसलिए यात्रा के लिए ये दो स्लोट सबसे ज्यादा उपर्युक्त है।

2023 मे तुंगनाथ मंदिर खुलने का समय | Tungnath temple opening date 2023

तुंगनाथ मंदिर ( Tungnath Temple) के कपाट खुलने की तिथि और समय 2023 में सुबह 8 बजे पंचकेदार गदीस्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर में पंचांग गणना के आधार पर तृतीय केदार के कपाट खोलने की तिथि तय की गई।  

2023 में तुंगनाथ मंदिर के खुलने की तिथि 6  मई 2023 सुबह 5 बजे निर्धारित की गयी है।  6 मई के बाद आप कभी भी यात्रा कर सकते हैं।

केदारनाथ मंदिर के बारे में जानने के लिए पढ़े- Click here

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