Kedarnath Temple registration | Kedarnath Mandir Route | Kedarnath Temple history | Kedarnath Dham

kedarnath temple

केदारनाथ धाम का परिचय 

Kedarnath Temple (केदारनाथ मंदिर) उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में, अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी के किनारे, हिमालय के केदार नामक श्रंग पर अवस्थित है।

केदारनाथ मन्दिर 12 ज्योतिर्लिंगों में होने के साथ-साथ चार धाम और पंच केदार में भी सम्मिलित है। केदारनाथ को शिव की भूमि माना जाता है।

यह तीर्थ पंचकेदार- केदारनाथ, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, मदमहेश्वर एवं कल्पेश्वर में प्रथम है। 

केदरानाथ मंदिर में स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था तथा बाद में 8 वी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

केदारनाथ धाम तीन तरफ पहाड़ो से घिरा हुआ है जिसमें एक तरफ केदारनाथ, दूसरी तरफ खर्चकुंड तथा तीसरी तरफ ऊंचा भरतकुंड है। केदारनाथ  मंदिर समुद्र तल से 3584 की ऊँचाई पर स्थित है।

शिव पुराण के अनुसार, यदि कोई मनुष्य बद्रीनाथ की यात्रा करने के उपरांत, केदारनाथ भगवान के दर्शन करता है, तो निःसन्देह उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण के अनुसार ही, अगर कोई मनुष्य,  केदारनाथ धाम में ज्योतिर्लिंग का पूजन करके जो मनुष्य वहां का जल पी लेता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता है। 

केदारेशस्य भक्ता ये मार्गस्थास्तस्य वै मृताः।

तेपि मुक्ता भवन्त्येव नात्र कार्थ्या विचारणा।

तत्वा तत्र प्रतियुक्तः केदारेशं प्रपूज्य च।

तत्रत्यमुदकं पीत्वा पुनर्जन्म न वि्न्दति।।

स्कंद पुराण में भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती से कहा गया है कि, है प्राणेश्वरी! यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं हूं।

मैंने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना के लिए ब्रहमा के रूप में परब्रहमत्वः को प्राप्त किया है, तभी से यह स्थान मेरा आवास है। यह केदारखंड मेरा चिरनिवास होने के कारण स्वर्ग के समान है

Kedarnath temple

केदारनाथ की कथा | Kedarnath temple history

केदारनाथ पौराणिक आख्याओं के अनुसार पाण्डव स्वर्गारोहण के समय इस स्थान पर आये। कुलघाती होने के कारण शिवजी ने पाण्डवों को दर्शन देना उचित नहीं समझा।

उन्होने भैंस (महीष) का स्वरूप धारण कर लिया और भैसों के झुंण्ड में सम्मिलित हो गये। महाबली भीम दो विशाल चट्टानों पर पांव रखकर इस तरह खड़े हो गये कि भैंसे उनके पावों के बीच से निकल जाये। सामान्य भैंसो ने यही किया।

परन्तु शिव भगवान जो छदम् रूप से भैंस का रूप धारण किये हुये थे, को यह अपमानजनक लगा, क्योकिं वे पाण्डवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे। उन्होंने अपना सिर जमीन पर मार दिया।

मान्यता अनुसार उनका सिर तो पशुपतिनाथ (नेपाल) निकल गया, परन्तु महाबली भीम ने महर्षि रूपधारी शिवजी की पूंछ पकड़ ली। फलस्वरूप महीष रूप का पार्श्व भाग (नितम्ब) इसी स्थल पर रह गया। केदारनाथ मंदिर के भीतरी प्रकोष्ठ में महीष के नितम्ब रूप की अनुकृति की शिला है। जिसकी आराधना की जाती है।

दलदली भूमी होने के कारण इस स्थल को केदारनाथ (दल-दल) कहा गया है। द्धादश ज्योतिर्लिंगों  में भी केदारनाथ का प्रथम स्थान है।

जगदगुरू शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में इस स्थल की यात्रा की एवं ज्योतिर्लिंगों की पूजा अर्चना हेतु दक्षिण भारतीय जंगम ब्राहमण को नियत किया। 32 वर्ष की अवस्था में श्री शंकराचार्य का देहान्त भी इसी स्थान पर हुआ।

केदारनाथ मंदिर वास्तुशिल्प | Kedarnath temple architect

केदारनाथ मंदिर 6 फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बनाया गया एक विशाल मन्दिर है जिसके बाहरी प्रांगण में नन्दी भगवान विराजमान है।

मंदिर की दीवारें लगभग 12 फुट मोटी हैं। मंदिर कत्यूरी शैली में बना है और मंदिर के शिखर पर सोने का कलश रखा हुआ है।

केदारनाथ मंदिर इंटर लाकिंग तकनीक के द्वारा कटवा पत्थरों की विशाल शिलाओं को जोड़कर बनाया गया है। मंदिर का गर्भगृह जो 80 वीं शताब्दी के लगभग बना हुआ माना जाता है, के चारों और प्रदक्षिणा पथ है। मंदिर के चारों कोनों पर चार सुदृढ पाषाण स्तंभ है। सभामंडप विशाल एवं भव्य बना है जिसकी छत विशाल पाषाण स्तंभों पर टिकी हैं।

केदारनाथ कैसे जाए | Kedarnath Temple route | Kedarnath distance

केदारनाथ की यात्रा के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश आना पड़ेगा। ऋषिकेश की दूरी हरिद्धार से 20 किमी और देहरादून से 50 किमी है। अगर आप देश के किसी भी कोने से आना चाहते है और आप हवाईजहाज के द्वारा आना चाहते हो तो आपको सबसे पहले जौलीग्रांट हवाई अड्डा पर आना पड़ेगा। आजकल जौलीग्रांट हवाईअड्डे के लिए अधिकतर बड़े शहरों से फ्लाईट  उपलब्ध है।

अगर आप केदारनाथ धाम के लिए टैक्सी बुक करना चाहतें है तो यहां क्लिक करें– Click here

 1- जौलीग्रांट हवाईअड्डे से ऋषिकेश की दूरी- 25 किमी

2- हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी- 20 किमी

3- देहरादून से ऋषिकेश की दूरी- 50 किमी

अगर आप देश के किसी दूसरे शहर से हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून  आते हैं और आपके पास अपना वाहन नही है तो आपके पास दो विकल्प हैं पहला विकल्प है आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से गौरीकुंड तक टैक्सी बुक कर सकते हैं।

टैक्सी आप आनलाईन या आफलाइन बुक कर सकते हैं या फिर आप हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से रोडवेज बस ले सकते हैं जो आपको सीधे गुप्तकाशी के लिए मिलेगी। परन्तु रोडवेज बसों की संख्या कम होने के कारण आपको परेशानी हो सकती है।

 4- ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी- 70 किमी

5- देवप्रयाग से श्रीनगर की दूरी- 35 किमी

6- श्रीनगर से रूद्रप्रयाग की दूरी- 34 किमी

 जब आप रूद्रप्रयाग पहुंच जाते हो तो रूद्रप्रयाग से एक रास्ता मंदाकिनी नदी के किनारे- किनारे गुप्तकाशी के लिए चला जाता है। दूसरा रास्ता अलकनंदा नदी के किनार- किनारे बद्रीनाथ के लिए चला जाता है।

अगर आप अपने वाहन से आ रहें हैं तो आपको ध्यान रखना होगा कि रूद्रप्रयाग से लगभग चार किमी पहले एक बाईपास आयेगा जहां से एक रास्ता ब्रिज से होता हुआ केदारनाथ के लिए चला जाता है और एक रास्ता रूद्रप्रयाग के अंदर से होता हुआ बदरीनाथ के लिए चला जाता है।

 7- रूद्रप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी- 45 किमी

8- गुत्तकाशी से सोनप्रयाग की दूरी- 30 किमी

9- सोनप्रयाग से गौरीकुंड की दूरी- 5 किमी

10 गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर- 18 किमी

 गौरीकुंड पहुंचने के बाद आपके पास दो विकल्प हैं- पहले विकल्प में आप केदारनाथ मंदिर तक पैदल या घोड़े के द्वारा यात्रा कर सकते हैं।

दूसरे विकल्प के तौर पर आप हैलीकाप्टर के द्वारा भी मंदिर पहुंच सकते हैं। केदारनाथ मंदिर के लिए हैली सेवा तीन जगह से मिलती है

1- पहली जगह  फाटा है।  यह जगह गु्प्तकाशी से 15 किमी दूर है, और गौरीकुंड जाते समय रास्ते में पड़ेगी- अगर आप चाहें तो यहां से भी केदारनाथ मंदिर के लिए सीधे हैली ले सकते हैं।

2- दूसरी जगह गुप्तकाशी है। यहां से भी आप केदारनाथ मंदिर के लिए सीधे हैली ले सकते हैं।

3- तीसरा स्थान है सिरसी- यहां से भी आप हैली सेवा प्राप्त कर सकतें है। 

                                                  किराये की दरें ( एक तरफ)   वर्ष – 2021 (एक तरफ)
फाटा केदारनाथ 2399 रूपये
गुप्तकाशी केदारनाथ 2470 रूपये
सिरसी केदारनाथ 4275 रूपये

Kedarnath Temple Helicopter booking:

अगर आप मई- जून में केदारनाथ की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको कुछ समय पहले ही हैली बुक कर लेना चाहिए क्योंकि मई- जून के दौरान- काफी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए, देश के कोने-कोने से आते हैं और ज्यादातर लोग पहले सी ही अपनी बुकिंग करवा लेते है। नीचे आपको हैली बुक करने के लिंक दिया जा रहा है जहां से आप हैली सेवा को बुक कर सकते हैं।

  हैलीकाप्टर बुक करने के लिए यहां क्लिक करें Click here  or  Click here

 केदारनाथ कब जाएः

केदारनाथ धाम की यात्रा, मई में कपाट खुलने के बाद शुरू हो जाती है। ज्यादातर श्रद्धालु मई- जून माह में केदारनाथ आते है। 2023 में केदारनाथ जाने का सबसे उपर्युक्त समय 25 April से 30 जून तक और 1 सितम्बर से  (भैयादूज) कपाट बंद होने तक।

30 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू हो जाता है और लगभग 30 अगस्त तक रहता है। बारिश के मौसम में पहाड़ो पर लैण्ड स्लाइड का खतरा रहता है और इसके कारण रास्ता भी बंद हो सकता है। इसलिए यात्रा के लिए ये दो स्लोट सबसे ज्यादा उपर्युक्त है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने व बंद होने  का समय | Kedarnath temple open

केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के कपाट खुलने की तिथि और समय फरवरी में महाशिवरात्रि पर तय होती है। कपाट खुलने के मुहूर्त के रूप में  आमतौर पर अक्षय-तृतीया या उसके दो दिन बाद की तिथि तय होती है।

कपाट खुलने के बाद से  6 महीने तक यात्रा चलती है। केदारनाथ मंदिर के कपाट प्रत्येक वर्ष दीपावली के दो दिन बाद भाईदूज पर सुबह पूजा- अर्चना कर बंद कर दिये जाते हैं।

2023 मेें केदारनाथ धाम खुलने का समयः Kedarnath temple opening date 2023:

महाशिवरात्रि के दिन केदारनाथ मंदिर के खुलने की तिथि निर्धारित की जाती है। 2021 में केदारनाथ के खुलने की तिथि 25 April 2023 सुबह 6:30 बजे निर्धारित की गयी है।  25 April के बाद आप कभी भी हैलीकाप्टर के द्वारा या पैदल यात्रा कर सकते हैं।

केदारनाथ धाम में जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?| How to register for Kedarnath Yatra

अगर आप 2023 में केदारनाथ धाम की यात्रा करने की सोच रहे हैं तो आपको पूर्व में ही रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा।

इस वर्ष से उत्तराखंड सरकार नें यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी है ताकि सरकार को पूर्व में ही यात्रियों की संख्या पता चल सके और यात्रियों के लिए पहले से ही पर्याप्त सुविधा बनायी जा सकें।

अगर आप इस वर्ष केदारनाय की यात्रा के लिए आना चाहते हैं तो आपको नीचे दिये गये लिंक पर अपना रजिस्ट्रेशन जरूर करना चाहिए ताकि परेशानी से बचा जा सके।

https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/signin.php

 

तुंगनाथ मंदिर के बारे में जानने के लिए पढें।

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