9 इंटरमिटेंट फास्टिंग बेनिफिट्स इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग साइड इफेक्टस

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक टाइम रिस्ट्रिक्टेड फास्टिंग (समय प्रतिबंधित उपवास) है। जिसमें उपवास का समय साधारण उपवास की तुलना में थोड़ा लंबा होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग बेनिफिट्स  पाने के लिए जरूरी है कि आप इस डाइट को सही तरीक से फोलो करें।

आजकल कई तरह के डाइट प्लान प्रचलित है जिन्हे लोगों के द्वारा वजन कम करने के लिए अपनाया जा रहा है।

इनमें ज्यादातर डाइट प्लान कैलोरी प्रतिबंधित है जिनमें कैलोरी को आहार के द्वारा प्रतिबंधित किया जाता है। इन डाइट प्लान में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि क्या खाना है और क्या नही खाना है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है? | What is Intermittent fasting?

जबकि इंटरमिटेंट फास्टिंग एक टाइम रिस्ट्रिक्टेड (समय प्रतिबंधित) डाइट प्लान है  इसमे कैलोरी के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दिया जाता है  कि कब खाना है।

हमारे देश में उपवास की प्रथा सदियों से चली आ रही है। सभी धर्मो में उपवास को महत्व दिया गया है।

कुछ लोग के द्वारा उपवास को आस्था के रूप में रखा जाता है तो कुछ लोग इसे फिट रहने के लिए रखते है। आपने देखा होगा कि जब कोई जानवर बीमार पड़ता है तो वह उस दौरान खाना छोड़ देता है और सही हो जाता है।

इसलिए हम कह सकते है कि उपवास एक ऐसी  प्रक्रिया है जो हमारे शरीर को प्राकृतिक तरीके से निरोगी और स्वस्थ बनाती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार | इंटरमिटेंट फास्टिंग टाइप्स

इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई प्रकार है।  यहां इंटरमिटेंट फास्टिंग के उन प्रकारों के बारे में बताया जा रहा है  जो सबसे ज्यादा प्रचलित हैं।

1- The 16/8 Method:  इंटरमिटेंट फास्टिंग बेनिफिट्स इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग साइड इफेक्टस

इंटरमिटेंट फास्टिंग   में अपनाया जाने वाला यह सबसे प्रचलित तरीका है। इस डाइट में 24 घण्टों को 2 स्लॉट्स में तोड़ लिया जाता हैः (16+ 8 घण्टे) मतलब इस प्लान में आपको 16 घण्टे उपवास रखना होता है और शेष 8 घण्टे में आप खाना खा सकते हैं। समय का निर्धारण आप अपने अनुसार कर सकते हैं।

उदाहरणः जैसे अगर रात का खाना आप 8 बजे खाते हैं तो रात के 8 बजे से लेकर अगले 16 घण्टे मतलब दिन के 12 बजे तक आपको कुछ नही खाना है।

यह आपका फास्टिंग पीरियड होगा। फिर दोपहर के 12 बजे से रात के 8 बजे तक आप खाना खा सकते हैं। यह आपका ईटिंग पीरियड कहलायेगा।

यह डाइट प्लान सबसे ज्यादा प्रचलित है क्योंकि फास्टिंग का अधिकांश समय, रात को साने में निकल जाता है और शेष समय को आप आसानी से मैनेज कर सकते है।

इस प्लान में आप अपने खाने के स्लॉट्स को आप 4 भागों में बांट सकते हो जैसे 2 स्माल मील्स और 2 मेजर मील्स।

दोपहर 2 बजे और रात 8 बजे आपको हैवी डाइट लेनी है और दोपहर 12  बजे और शाम 4 बजे आपको हल्की डाइट लेनी है।

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2- The 5:2 Diet:

इंटरमिटेंट फास्टिंग बेनिफिट्स इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान इन हिन्दी | इंटरमिटेंट फास्टिंग साइड इफेक्टस

इस डाइट प्लान में आपको सप्ताह के सात दिन में से 5 दिन साधारण डाइट लेनी होती है और शेष 2 दिन आपको कैलोरी रिस्ट्रिक्टेड डाइट लेनी है मतलब महिलाओं को 500 कैलोरी और पुरूषों को 600 कैलोरी वाले आहार का सेवन करना है।

उदाहरण के लिए मंगलवार और शुक्रवार को छोड़कर शेष सभी दिन आपको साधारण डाइट लेनी है और इन दो दिन जैसे ऊपर बताया गया है कम कैलोरी वाले का आहार का सेवन करना है।

3- EAT STOP EAT:

इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान in hindi

  इस प्लान में आपको सप्ताह के 1 या 2 दिन 24 घण्टे का उपवास रखना होता है। उदाहरण के लिए अगर सोमबार की रात 8 बजे आपने अपना डिनर किया है तो अगले 24 घण्टे मतलब मंगलबार की रात के 8 बजे तक आपको कुछ नही खाना है।

उपवास के दौरान आप पानी, ब्लेक टी और ऐसे पेय पदार्थ जिनमें जीरो कैलोरी हो ले सकते हो।

4- Alternate Day Fasting:

इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान in hindi

इस प्लान में आपको सप्ताह में एक दिन छोड़कर उपवास रखना होता है। उदारहरण के लिए  सप्ताह में सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को साधारण डाइट लेनी है और मंगलवार, बृहस्पतिवार, और शनिवार को उपवास  रखना है। पूर्ण उपवास की जगह आप बहुत कम कैलोरी वाले आहार का सेवन भी कर सकते हो।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान  कैसे काम करता है | How does intermittent fasting works?

इंटरमिटेंट फास्टिंग   में तीन चरण होते है।

1- Eating, Digestion and Absorption Phase: 

यह सबसे पहला चरण है। जब भी हम कोई चीज खाते है तो सबसे पहले हमारे शरीर में इन्सुलिन का स्रवण बढ़ जाता है। यह प्रभाव खाने के 3 से 5 घंटे तक रहता है। इस अवस्था में शरीर फैट लॉस नही होता है।

2- Post Absorptive phase:

  यह प्रभाव शरीर में 8- 12 घंटे तक रहता है। इस अवस्था में आते-आते शरीर में इन्सुलिन लेवल कम हो जाता है।

3-  Fasting /Fat burning phase:

12 घंटे के बाद हमारा शरीर फास्टिंग मोड में चला जाता है। इस फेज में पहुचते ही शरीर फैट वर्न करना शुरू कर देता है। आपको अपना वर्कआउट इस पीरियड में ही करना चाहिए ताकि फैट वर्न हो सके।

इंटरमिटेंट फास्टिंग  के लाभ | इंटरमिटेंट फास्टिंग बेनिफिट्स

1- वैली फैट और वजन कम करने में सहायकः इस डाइट के प्रभाव से शरीर में इन्सुलिन का स्तर कम होता है, ग्रोथ हार्मोन्स का स्तर बढ़ता है और एड्रीनल ग्रन्थि द्वारा स्रावित नोरएपिनेफ्रीन का स्तरा भी बढ़ता है जिस कारण शरीर में फैट के टूटने की दर बढ़ जाती है जिससे वजन कम होता है।

2- टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम हो जाता हैः शोध में  यह पाया गया है कि अल्पावधि उपवास से शरीर का मेटाबाल्जिम रेट बढ़ता है और इन्सुलिन लेवल घटता है जिससे टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।

3- शरीर में इन्फ्लेम्शन का स्तर कम होता हैः शरीर में इन्फलेमेशन के बढ़ने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा पैदा होता है। कुछ शोधो में पाया गया है कि इन्टरमिटेंट फास्टिंग से शरीर में इन्फलेमेशन का स्तर कम होता है।

4- ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए लाभकारीः जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाते है उनमे साधारण लोगों की अपेक्षा ह्रदय रोगों का खतरा  कम होता है।

शोध में यह पाया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग, ह्रदय रोग के मुख्य कारण जैसे हाई ब्लड प्रेशर, टोटल और एल.डी.एल कोलेस्ट्रोल, ट्राईग्लिसराइड के स्तर को कम करती है।

5- कैंसर से बचाव में सहायक: कुछ शोधो में पाया  गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से कैंसर का खतरा कम होता है। जैसा कि हम जानते है मोटापा कैंसर का एक मुख्य कारण माना जाता है।

टाइम रिस्ट्रिक्टेड फास्टिंग मोटापा कम करने में काफी हद तक कारगर है, साथ ही उपवास से शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर भी कम होता है जिस कारण टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। दोनो ही कारण कैंसर से बचाने में सहायक है।

6- ब्रेन फंक्शन को सुधारती हैः इंटरमिटेंट फास्टिंग मेटाबालिक सिंड्रोम के खतरे को कम करती है जो कि न्यरोलाजिकल डिजीज का एक मुख्य कारण है। साथ ही शोधो में पाया गया है कि फास्टिंग से ब्रेन फंक्शन मे सुधार होता है और मैमोरी बढ़ती है।

7- अलजाइमर डिजीज के खतरे को कम करती हैः कुछ स्टडी में यह पाया गया है कि जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग को फोलो करते है उनमे अल्जाइमर डिजीज होने की संभावना कम होती है।

8- हयूमन ग्रोथ हार्मोन्स को बढ़ाती हैः हयूमन ग्रोथ हार्मोन (एचजीएच) पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। कुछ अध्ययनो में पाया गया है कि कुछ घण्टो की से फास्टिंग से एचडीएज का स्तर बढ़ता है।

9- जीवन प्रत्याशा बढ़ती हैः इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाकर आप ह्रदय रोग, मधुमेह, कैंसर और मोटापा जैसी गंभीर बीमारियों को दूर करके जीवन को निरोगी और लंबा वना सकते हैं।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग डाइट प्लान

16:8 डाइट प्लानः इंटरमिटेंट फास्टिंग में 16:8 डाइट प्लान सबसे ज्यादा अपनाया जाने वाला डाइट प्लान है। यहां आपको 16:8 फास्टिंग का एक डाइट प्लान दिया जा रहा है। यह डाइट प्लान आपको 1300-1500 कैलोरी तक दे सकता है।

क्या खाना हैः

     1- फल

      2-सब्जी

      3-साबुत अनाज

      4- कम वसा युक्त दुग्ध उत्पाद

      5- लीन प्रोटीन

 सब्जी और फल:

आपको कोशिश करना है कि पूरे दिन में ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सब्जी और फल खांये। आपको फल और सब्जी में ऐसे फल और सब्जी को प्राथमिकता देनी है जो कि मौसमी हों।

क्योंकि मौसमी फल और सब्जी सस्ते होने के साथ-साथ ताजे व विटामिनस से भरपूर होते है। सब्जी में आपको कच्ची सब्जियां (सलाद) व पकी सब्जी को अपनी डाइट में शामिल करना है।

कम वसा के दुग्ध उत्पाद:

कम वसा के दुग्ध उत्पाद में आपको ऐसे दुग्ध उत्पाद लेने है जिनमे वसा की मात्रा कम से कम हो। दुग्ध उत्पादों में आप कम वसा युक्त दही, पनीर व दूध का सेवन कर सकते है।

 दुग्ध उत्पाद कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन के अच्छे स्रोत है। परन्तु इनका फायदा तभी है जब ये कम वसा के हो अन्यथा ये हमारे शरीर में फैट के स्तर को बढ़ायेगें।

लीन प्रोटीन:

लीन प्रोटीन फूड का अर्थ है ऐसे फूड जिनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक हो और वसा की मात्रा कम हो। जैसे मछली- मछली लीन प्रोटीन का सबसे अच्छा उदाहरण है।

मछली में सैचूरेटेड की मात्रा कम होती है, और ओमेगा 3 फैट की मात्रा अधिक होती है और सभी जरूरी विटामिन और न्यूट्रिशियनस इसमें उपस्थित होते है।

एक सप्ताह में आपको 250 ग्राम मछली खानी चाहिए। इसके अलावा आप लीन मीट और अण्डो के सेवन भी कर सकते है ये सभी भी प्रोटीन, विटामिन बी, आइरन और जिंक के अच्छे स्रोत माने जाते है।

जबकि शाकाहरी खाध पदार्थो में सोया वींस, वींस, लैन्टिस, लेग्यूमस प्रोटीन के अच्छे स्रोत माने जाते है।

साबुत अनाजः

आप अपनी डाइट में साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, ब्राउन ब्रेड और साबुत गेहूं से बना पास्ता का सीमित मात्रा में सेवन करना है क्योंकि साबुत अनाज में अनेक पोषक तत्वो जैसे फाइवर, विटामिन ई,विटामिन बी, जस्ता, मैगनीज एवं मैग्नीशियम आदि उपस्थित होते है जोकि हमारी सेहत के लिए आवश्यक होते है।

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कैलोरी कैसे काउंट करें?

अगर आप यह डाइट फोलो करते है तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपको प्रतिदिन कितनी कैलोरी चाहिए।

अगर आपको यह पता नही होगा और अगर आपने अपनी कैलोरी आवशय्कता से अधिक कैलोरी प्राप्त की तो आपका वजन घटने की जगह बढ़ सकता है।

आपको अपनी कैलोरी डिमांड का पता करने के लिए आपको अपना वजन पता होना चाहिए। आपको अपनी कैलोरी की आवश्यकता के अनुसार ही डाइट लेनी है।

कैलोरी डिमांड = आपका वजन किलोग्राम में * 28

अगर आपका वजन 70 किलो है तो प्रतिदिनः 70 गुणा 28=  1960 कैलोरी के अनुसार अपनी डाइट लेनी है।

किस खाद्य पदार्थों में लगभग कितनी कैलोरी होती हैः

सभी फल आम व केला छोड़कर- 50 कैलोरी प्रति 100 ग्राम ( लगभग)

केला 100 ग्राम- 100 कैलोरी

आम 100 ग्राम- 100 कैलोरी

सभी सब्जियां आलू छोड़कर- 25 कैलोरी प्रति 100 ग्राम (लगभग)

आलू प्रति 100 ग्राम- 100 कैलोरी

1 ब्रेड- 100 कैलोरी

1 बिस्किट- 25 कैलोरी

1 गुलाब-जामुन- 400-500 कैलोरी

इंटरमिटेंट फास्टिंग साइड इफेक्टस | intermittent Fasting Side effects

अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने जा रहें तो आपको इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए क्योंकि अगर आपके शरीर में पहले से पोषण की कमी है तो आपको कुछ परेशानियां हो सकती है।

1- मासिक चक्र में बदलाव

2- हेयर लास

3- कब्ज

4- स्लीप डिस्टर्बेंस

5- मूड चेंज

6- कमजोरी

7- हार्ट वर्न

8- ओवर ईटिंग

कीटो डाइट के बारे में जानने के लिए पढ़े- Click here

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