ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट क्या है?
वर्तमान में मानव द्वारा अपनायी जा रही प्रकृति विरोधी नीतियों एवं कार्यों के कारण जलवायु चक्र असंतुलित होता जा रहा है।
इस कारण पृथ्वी के वायुमण्डल में कुछ विशेष गैसों की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गयी है कि धरती की ऊष्मा बाहर नहीं निकली पा रही है, इससे उत्पन्न प्रभाव को हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
ऑक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार- वायुमण्डल में मानव जनित कार्बन डाईऑक्साइड के आवरण के कारण पृथ्वी की सतह के प्रगामी तापन को हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसेः
कार्बन डाईऑक्साइड, जलवाष्प, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड गैसें प्रमुख हैं। इसके अलावा पृथ्वी से बाहर जाने वालीं दीर्घ तरंगो के अवशोषण के कारण हैलोजनित गैसें तथा क्लोरो फ्लोरो कार्बन भी हरित ग़ृह गैसों की श्रेणी में आती है।
इन सभी गैसों में कार्बन डाईऑक्साइड का योगदान सबसे अधिक है। हाल ही के वर्षों में वैज्ञानिकों ने एक नवीन हरित गृह गैस की खोज की है जिसका नाम ट्राइफ्लोरो मिथाइल (F3CH) है। यह गैस CO2 तुलना में 100 वर्षों की समयावधि तक अवरक्त किरणों का अवशोषण करने की लगभग 20,000 गुणा अधिक क्षमता रखती है।
ये सभी गैसें सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाली किरणों को तो आसानी से आने देती हैं परन्तु बापस पृथ्वी से वायुमण्डल में जाने वाली इन्फ्रारेड विकिरणों को अवशोषित कर लेती हैं। इस कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है और इसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।
CO2 की उत्पन्न होनी वाली मात्रा | हजार मिलियन टन प्रति वर्ष |
कार्बनिक पदार्थों के विघटन से | 198 |
ज्वालामुखी विस्फोट के कारण | 26 |
जीवाश्म ईंधन के दहन से | 23 |
पशुओं के निःश्वासन से | 1.5 |
मनुष्यों के निःश्वासन से | 1.5 |
कुल | 250 |
हरित गृह प्रभाव के कारणः
1- वनों का दोहनः पृथ्वी के तापमान बढ़ने का सबसे बड़ा कारण वनों की कटाई और तेजी से बढ़ता हुआ औद्योगिकीकरण है। जैसा कि आप सब जानते है पेड़ कार्वन डाइऑक्साइड का अवशोषण और ऑक्सीजन को उत्सर्जन करते है।
जिस कारण पेड़-पौधे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाईआक्साईड का संतुलन बनाने में सहायता करते हैं। अगर वनों को इसी रफ्तार से काटा जायेगा तो पर्यावरण में कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा बढ़ती जायेगी और पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा।
2- हवाई यातायातः हवाई यातायात भी वायुमण्डल के बढ़ते तापमान का एक प्रमुख कारण है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक चार हजार मील की हवाई यात्रा से लगभग एक टन कार्बन डाईऑक्साइड का वायुमण्डल में उत्सर्जन होता है जो कि ग्लोवल वार्मिंग के लिए ग्रीन हाउस गैसों में सबसे प्रमुख गैंस है।
इसके अतिरिक्त गैर सरकारी संगठन एनवायर्न के अनुसार हवाई जहाज वायुमण्डल में कार्बन डाईऑक्साइड के अलावा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी खतरनाक जहरीली गैस और जल वाष्प भी छोड़ते हैं।
3- धुआः बिधुत उत्पादन केन्द्रों से, विभिन्न उद्योगों में कोयला एवं खनिज तेल के दहन से चिमनियों से, यातायात के साधनों में दहन होने वाले ईंधन से तथा घरेलू उपयोग के दौरान लकड़ियों के दहन से CO2 गैस का भारी मात्रा में उत्सर्जन होता है।
हरित गृह गैसों का पर्यावरण पर प्रभावः
1- ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण पृथ्वी का उष्मा संतुलन बिगड़ जाता है जिस कारण जलवायु परिवर्तन होने की संभावना रहती है। इस कारण मानसून में देरी, अकाल, बाढ़, चक्रवात, तथा लू की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
2- पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ग्लेशियर निरंतर सुकड़ रहे हैं। आर्कटिक और अंटार्कटिका के विशाल हिमखण्ड धीरे-धीरे पिघल रहे हैं जिससे समुद्र के जल स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।
3- पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने पर वर्षा तथा मृदा में नमी की मात्रा में कमी हो रही है, जिससे अधिक जल की आवश्यक्ता वाली फसलें जैसे गेहूं व चावल की खेती में कमी आ जाएगी।
4- तापमान में वृद्धि के कारण मच्छरों से फैलने वाले रोग जैसे मलेरिया, डेंगू, पीला बुखार जैसी महामारियां बढ़ जाएंगी।
5- जलवायु परिवर्तन के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों के कारक बढ़ जायेगें जिससे मानव की मृत्यु दर बढ़ेगी।
6- हरित गैसों के कारण समताप मण्डल मे ओजान की परत घटेगी जिस कारण तापमान में वृद्धि होगी।
हरित गृह प्रभाव के निवारण के उपायः
1- अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाये ताकि कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में कमी लाई जाए।
2- सी.एफ.सी जैसी गैस जो कि एक प्रमुख हरित गैस है, इसके प्रयोग को प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए।
3- जीवाश्म ईंधनों के विकल्पों को खोजना चाहिए और सरकार द्वारा इलैक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
4- कारखानों से निकलने वाले धुएं को ग्रीन हाउस गैसों के सम्बंध में जांच कर उस पर आवश्यक प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए।