कार्बन क्रेडिट क्रेडिट क्या है? | Carbon Credit in Hindi
कार्बन क्रेडिट ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि को कम करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का एक भाग है। सही अर्थो में कार्बन क्रेडिट आपके द्वारा कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का एक प्रयास है।
कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इसे धन से जोड़ दिया गया है जिससे लोग प्रोत्साहित होकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रयास करें।
आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि कार्बन क्रेडिट एक व्यापारिक प्रमाण पत्र है जो किसी धारक को एक निश्चित समय में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीन हाउस गैसों को उत्सर्जित करने का अधिकार देता है।
कार्बन क्रेडिट प्रणाली के तहत किसी भी देश में उपलब्ध उद्योगों के अनुसार उस देश के द्वारा किये जाने वाले अधिकतम कार्बन उत्सर्जन का निर्धारण किया जाता है।
किसी भी देश या समूह को उसके निर्धारित अधिकतम कार्बन उत्सर्जनों में से कटौती करने पर उसे कार्बन क्रेडिट प्रदान किया जाता है।
क्योटो प्रोटोकॉल के अनुसार प्रति मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम कर 1 कार्बन क्रेडिट प्राप्त किया जा सकता है।
ज्ञातव्य है कि आदित्य बिड़ला ग्रुप की सीमेंट कंपनी ग्रासीम इंडस्ट्रीज विश्व की पहली सीमेन्ट कंपनी बनी जिसने अपने कार्बन क्रेडिट को यूरोप में बेचकर धन अर्जित किया है।
अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कार्बन क्रेडिट का क्रय विक्रय उनके वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार किया जाता है।
कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन कटौती के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किफायती साधनों को विकसित करने में विश्व के देशों को सक्षम बनाने के लिए क्योटो प्रोटोकाल का प्रावधान किया गया।
स्वच्छ विकास तंत्र विकसित देशों में सरकारी या कंपनियों को विकासशील देशों के लिए किये गये स्वच्छ प्रौधोगिकी निवेश ऋण अर्जित करने की अनुमति देता है।
इस ऋण को ही कार्बन क्रेडिट कहा जाता है। कार्बन क्रेडिटस अर्जित करने की पात्र सौर, पवन या पनबिजली जैसी अक्षय परियोजना होती हैं।
अमेरिका, कनाडा या पश्चिम यूरोपीय विकसित देश कार्बन क्रेडिटस के हकदार तभी होते हैं जब उनके द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा स्वच्छ विकास तंत्र किसी विकासशील देश को दुरस्त प्रौधोगिकी तक पहुंच उपलब्ध कराते हों तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने में सहायक हों।
ग्रीन हाउस गैसें:
ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी के वातावरण में परिवर्तन और भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए जिम्मेदार हैं। इस गैसों में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन, जल वाष्प, ओजोन आदि हैं।
पिछले लगभग 20 सालों में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 40 गुणा तक बढ़ गया है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन आमतौर पर एयर कंडीशनर, फ्रिज, कार आदि से होता है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन है।
इसी प्रकार थर्मल पॉवर प्लांट ग्रीन हाउस गैस के प्रमुख स्रोत हैं। हाइड्रो क्लोरो फ्लोरो कार्बन सबसे हानिकारक ग्रीन हाउस गैस है जो कार्बन डाई ऑक्साइड की तुलना में हजार गुणा ज्यादा हानिकारक है।