तुला दान क्या है? | तुला दान कैसे होता है? | तुला दान के लाभ

तुला दान क्या है?

तुला दान व्यक्ति के स्वास्थ्य संवर्धन के लिए किया जाता है। कई बार व्यक्ति का जब मारकेश चल रहा होता है मतलब उसकी पत्रिका में मृत्यु तुल्य कष्ट होता है तब जातक को तुला दान करने के लिए कहा जाता है।

जिस घर से बीमारी ना जाती हो या व्यक्ति को नाना प्रकार की बीमारी बनी रहती हों, ऐसे लोगों को तुला दान अवश्य करना चाहिए। इससे व्यक्ति के मन को शांति मिलती है और व्यक्ति को निरोगिता मिलती है।

तुला दान क्या है?

तुला दान किस दिन करना चाहिए?

तुला दान को शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन करना चाहिए।

तुला दान कैसे होता है?

आपका जितना भी बजन हो उस वजन के बराबर अनाज के दान को तुला दान कहा जाता है। मान लो एक तराजू में एक ओर आपको बैठा दिया जाये और दूसरी ओर  अनाज भर दिया जाये। जितना अनाज आपके वजन के बराबर तोला जायेगा। उस अनाज को ब्राहमण  के द्वारा संकल्प कराकर किसी अन्य ब्राहम्ण को दान दिया जाता है। इसे तुला दान कहते हैं। इसकी तीन विधि है।

1- अनाज में आपको सात प्रकार का अनाज रखना चाहिए जैसे इसमें आप अपने बजन के बराबर समान मात्रा में (गेहूं, चावल, दाल, मक्का, ज्वार, बाजरा, सावुत चना) और इसके साथ कुछ मात्रा में साबुत नमक, सरसों का तेल रखना चाहिए हैं।

2- इसकी दूसरी विधि में आप अपने बजन के बराबर हरा चारा तोलकर, रविवार के दिन, किसी गायशाला में भी दान दे सकते हैं।

3- तीसरी विधि में आप रविवार के दिन अपना बजन तोल लें और उतने बजन के बराबर गेंहू, या ऐसा दाना जो पक्षी खा सकें, इनको मिला लें और रविवार के दिन इस दाने को अपने घर में सुरक्षित रख लें और आधा या एक किलो दाना दो चार जगह जहां पक्षी हो उनको डालकर आ जाइये।

अगर स्वयं रोगी व्यक्ति ना जा सके तो परिवार का अन्य व्यक्ति उस व्यक्ति का हाथ लगवाकर उस दाने को पक्षियों को डालकर आ जाये। इससे पक्षियों की सेवा भी हो जाती है और भगवान का आशीर्वाद भी मिलता है। इस प्रकार रोगी व्यक्ति को निरोगिता मिलती है।

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