फ्लेक्स फ्यूल इंजन क्या है | फ्लेक्स फ्यूल क्या है जो इतना सस्ता है | एथनॉल क्या है

प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतो के कारण सरकार जल्द  ही पेट्रोल व डीजल पर से निर्भरता कम करने जा रही है। वर्तमान में फ्लेक्स ईंधन पर तेजी से काम चल रहा है और उम्मीद है कि आने वाले महीनों में आपको फ्लेक्स फ्यूल मिलने लगेगा।

फ्लेक्स फ्यूल इंजन क्या है

फ्लेक्स फ्यूल पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी सस्ता होगा जिससे आम आदमी को काफी फायदा होगा। केन्द्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि आने वाले 6 महीनो में सभी गाड़ियो के इंजन को फ्लेक्स इंजन में परिवर्तित किया जा सकेगा।

फ्लेक्स फ्यूल इंजन क्या है? (Flex Fuel Engine)

वर्तमान में हमारी गाड़ियो का इंजन इन्टर्नल कम्वशन इंजन होता है, अब जो इंजन आने वाला है वो भी इन्टर्नल कम्वशन इंजन ही होगा पर अंतर केवल इतना होगा कि फ्लेक्स इंजन वाली गाड़िया अलग-अलग फ्यूल पर चल सकेगी।

मतलब उसमें इस तरह का इन्टरनल कम्वशन इंजन लगाया जायेगा जिसमें एक ही समय पर अलग-अलग तरह के फ्यूल का प्रयोग किया जा सकेगा।

इन गाड़ियों में दोनो तरह के फ्यूल को एक ही टैंक में डाला जायेगा। इसमें दूसरे ईंधन के लिए अलग से टैंक नही लगाया जायेगा।  

इसमें पहला फ्यूल तो पेट्रोल ही होगा परन्तु दूसरा फ्यूल होगा एथनॉल। इसमें आपको ऑप्शन मिलेगा और किसी भी इंजन पर अपनी गाड़ी चला सकेगें।

इस प्रकार इंजन में इस तरह का एडजस्टमेंट किया जायेगा जिसके आप दोनो फ्यूल पर अपनी गाड़ी चला सकेगें।

एथनॉल क्या है?

एथनॉल एक वायो फ्यूल है। एथनॉल को गन्ने से बनाया जाता है। अगर कीमत की बात करें तो एथनॉल का मूल्य पेट्रोल से काफी कम होता है।

वर्तमान में एथनॉल 60 रूपये लीटर तक मिल जाता है। एथनॉल से प्रदूषण भी काफी कम हो जाता है। अभी आप जो पेट्रोल प्रयोग करते है उसमें भी 5 से 10 प्रतिशत तक एथनॉल मिलाया जाता है।

फ्लेक्स ईंधन क्या है?

फ्लेक्स फ्यूल गैसोलीन और मेथेनॉल या एथनॉल के मिश्रिण से वना एक वैक्ल्पिक ईंधन है। एक फ्लेक्स फ्यूल इंजन मूल रूप से एक मानक पेट्रोल इंजन ही होता है।

इसमें कुछ अतिरिक्त घटक होते हैं जो एक से अधिक इँधन या मिश्रण पर चलते है। इलेक्ट्रीकल व्हीकल की तुलना में फ्लेक्स इंजन कम खर्च में तैयार हो जाते हैं।

साधारण पेट्रोल इंजन और फलेक्स इंजन में क्या अन्तर है?

पेट्रोल इँधन की तुलना में एथनॉल से 25 प्रतिशत कम पावर मिलता है। इस प्रकार पेट्रोल इंजन के बराबर ऊर्जा पैदा करने के लिए फ्लेक्स इंजन के कम्वशन चैम्बर में ज्यादा एथनॉल की जरूरत पड़ेगी और ऐसे में फ्लेक्स इंजन में ज्यादा चौड़े इंजेक्टर की आवश्यकता पड़ेगी जो फ्यूल एयर मिक्चर में 40 प्रतिशत अधिक लिक्विड फ्यूल मिलाये।

फलेक्स फ्यूल में 85 प्रतिशत तक एथनॉल का प्रयोग किया जाता है जो फ्यूल सिस्टम को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। इस नुकसान से बचने के लिए आपको इंजन में इंजेक्टर्स को बदलना पड़ेगा।

इसके साथ ही यहां यह भी बताना आवश्यक है कि पुराने पेट्रोल इंजन में फ्यूल सिस्टम के लिए स्टील या कॉर्क गास्केट का इस्तेमाल किया जाता है जो लंबे समय तक एथनॉल या पानी के सम्पर्क में आने पर परेशानी करते थे।

लेकिन अब आधुनिक इंजनों में फ्यूल सिस्टम के लिए एक अलग धातु का प्रयोग किया जाता है जिससे एथनॉल या पानी के कारण इसमें परेशानी नही आती।

आपको अपनी कार में क्या परिवर्तन करना पड़ेगा?

सबसे पहली चीज आपको अपनी कार में एक इलेक्ट्रानिक कंट्रोल मॉडयूल की आवश्यकता पड़ेगी। इसे फ्यूल इंजेक्टर्स और फैक्ट्री फ्यूल इंजक्टर इलैक्ट्रिकल कनेक्टर्स के बीच लगाया जायेगा। 

दूसरी चीज है फ्यूल सेंसर जो आपकी कार में एथनॉल और पेट्रोल के अनुपात का पता करेगा। यह फ्यूल सेंसर इलेक्ट्रिक कंट्रोल मॉडयूल से कनेक्ट किया जायेगा। यह सिस्टम आपके इंजन में एथनॉल की मात्रा को निर्धारित करेगा कि कितना ईंधन खर्च करना है।

फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल में चलैंजेज क्या है?

1 सरकार को इस टेक्नोलॉजी को लाने के लिए बहुत अधिक निवेश करना पड़ेगा। क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि वर्तमान सरकार इलैक्ट्रिक व्हीकल पर ज्यादा जोर दे रही है और बहुत सारी आटोमोबाईल कम्पनियां इसमें बहुत अधिक निवेश भी कर चुकी हैं।

इस प्रकार आने वाले दिनों में आटोमोबाइल इंडस्ट्रीज को फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल को लाने में कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

2- फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल की माइलेज साधारण पेट्रोल इंजन की तुलना में थोड़ी कम होती है इसलिए ग्राहकों को इसे अपनाने में थोड़ी परेशानी हो सकती है।

3- इथेनाल एक हाइग्रोस्कोपिक इँधन है इसलिए इसे नमी से बचा कर रखा जाना आवश्यक है। अगर इथेनाल नें नमी को अवशोषित कर लिया तो इस दशा में आपकी गाड़ी का इंजन जाम हो सकता है।

Spread the knowledge

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *