Neuralink Technology क्या है?
इंसानी दिमाग दिन प्रतिदिन तरक्की कर रहा है और इसी दिमाग की मदद से हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को जन्म दिया है। Space X,Tesla और Twitter जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंसानी दिमाग को एक साथ जोड़ना चाहते हैं।
इसके लिए उनकी Neuralink तकनीक पर काम किया जा रहा है। एलन मस्क की कंपनी Neuralink Technology, न्यूरल इंटरफेस टेक्नोलॉजी पर काम करती है। सरल भाषा में कहें तो यह कंपनी दिमाग से जुड़ी टेक्नोलॉजी पर काम करती है।
यह कंपनी पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है और इसकी वजह कंपनी का बनाया एक चिप है, जो भविष्य में लोगों के दिमाग में इम्प्लांट किया जा सकता है। आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स।
क्या है न्यूरलिंक (Neuralink Technology) चिप?
न्यूरलिंक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पावर्ड माइक्रो चिप है, जो हमारे दिमाग की हर एक एक्टिविटी रिकॉर्ड और रीड कर सकती है, न्यूरालिंक चिप ह्यूमन ब्रेन को कंप्यूटर से जोड़ेगी और इससे हमारा दिमाग भी एक कंप्यूटर की तरह काम करने लगेगा।
इससे हम बिना कुछ बोले, बिना कुछ लिखे अपने दिमाग में चल रही बात कंप्यूटर मैं टाइप कर सकते हैं। इसकी मदद से लोगों की कई डिसेबिलिटी को दूर किया जा सकता है। जैसे कि इस चीप की मदद से एक पैरालाइज शख्स अपने दिमाग का इस्तेमाल कर स्मार्टफोन यूज कर सकें।
क्या कर सकती है यह चिप?
न्यूरलिंक कंपनी की मानें तो ये चेप हमारे दिमाग में आने वाले विचारों को पढ़ सकती है। इसकी मदद से यूजर्स स्मार्ट फोन और कंप्यूटर जैसे बेसिक डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं।
मास्क के हिसाब से इस चिप को अगले 6 महीने में संभवत: किसी इंसान के दिमाग में न्यूरलिंग इंस्टॉल कर सकेगा। कंपनी की माने तो यह टेक्नोलॉजी पैरालाइसिस, नेत्रहीन, मेमोरी लॉस और न्यूरो संबंधित समस्याओं में लोगों की मदद करेगा।
न्यूरालिंक की मदद से हम इंसानों के अंदर पैदा हुई कई बीमारियों को खत्म कर सकते हैं। ऐसे इंसान जो पैरालाइज होने की वजह से चल फिर नहीं सकते वह इंसान न्यूरालिंक की मदद से आसानी से चलने फिरने में सक्षम होगें।
न्यूरालिंक ऐसी टेक्नालॉजी साबित होगी जो ह्यूमन को सुपर ह्यूमन में बदल देगी, जिससे आने वाले फ्यूचर का एक अलग ही रूप देखने को मिलेगा।
ऐसे इंसान जो अपनी आंखों से इस सुंदर दुनिया को नहीं देख सकते, वह इस टेक्नॉलजी की मदद से देख पाएगें। इसकी सहायता से कोई भी इंसान अपनी मसल्स एवं हारमोंस को कंट्रोल कर पायेगा।
न्यूरालिंक चिप इंसान के दिमाग में 10 lakh से भी ज्यादा न्यूरॉन्स को बढ़ा देगा जिससे इंसान कोई भी स्किल आसानी से सीख सकेगा, और इस चिप से इंसान अपने नर्वस सिस्टम को भी स्ट्रांग बना पाएगा।
इस चिप के दिमाग में लगने से इंसान बिना हाथ-पैर हिलाए कंप्यूटर पर कुछ भी टाइप कर सकता है। यह खोई हुई याददाश्त को भी वापस ला सकेगी और आसानी से उनको फिर से रिस्टोर भी कर देगी। इस चिप से डिप्रेशन और मूड स्विंग्स जैसी प्रॉब्लम को रिकॉर्ड करके ठीक किया जाएगा।
कैसे काम करेगी यह तकनीक?
न्यूरलिंक कंपनी दो उपकरण तैयार कर रही है। पहली एक सिक्के के आकार की एक चिप है, जिसे इंसान के सर में लगाया जाएगा।
इस चिप से बालों से भी पतले तार निकलेंगे जिनसे लगे 1024 इलेक्ट्रोड दिमाग के अलग-अलग हिस्सों तक जाएंगे, और इनसे मिला डेटा चेप के जरिए कंप्यूटर्स तक जाएगा, जहां रिसर्च इसे स्टडी करेगी।
दूसरा इसके अलावा एक रोबोट होगा जो एक सुई की मदद से न्यूरनिंक चिप से निकलने वाले तार इंसान के दिमाग में सिलेगा।
इंसानी दिमाग मे चिप लगाना इतना आसान काम नहीं है इस काम को डॉक्टर या साइंटिस्ट नहीं कर सकते हैं इसलिए एलन मस्क ने एक रोबोट बनाया है जो इंसानी दिमाग में इस चिप को फिट करेगा और इस सर्जरी को करेगा जिससे यह सर्जरी आसानी से और जल्दी हो जाएगी और यह LASIC सर्जरी जितना आसान होगा। जनवरी में एक सूअर के अंदर इस चिप का डेमो भी किया गया।
यह 2 महीने से इसके दिमाग में लगी थी और मस्क ने बताया कि कुछ वक्त पहले यह चिप एक बंदर के दिमाग में लगी थी और उस पर इसका असर भी हुआ।
एलन मस्क का कहना है कि जानवरों पर इस चीप की टेस्टिंग के बाद यह इंसानों पर टेस्ट की जाएगी और और इसमें 6 महीने तक का समय लग सकता है।
6 महीने में होगा न्यूरालिंग प्रोजेक्ट का ह्यूमन ट्रायल शुरू!
एलन मस्क का कहना है कि न्यूरालिंक चिप का क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल 6 महीने में होगा शुरू, और इस ट्रायल का पहला टारगेट एप्लीकेशन विजन (देखने की क्षमता ) को बहाल करना है।
यानी कि कंपनी ऐसी ब्रेन चिप विकसित कर रही है, जो दिव्यांगों या रोगियों को चलने ,फिरने और बातचीत करने में सक्षम बनाती है।
क्या एलन मस्क फर्स्ट ह्यूमन ट्रायल करेंगे खुद पर?
ट्विटर से खबरें आ रही है कि मस्क इस चिप को अपने दिमाग में लगवाने वाले हैं। वैसे तो इस पर मस्क ने साफ-साफ कुछ नहीं कहा है, लेकिन अपना एंट्रेंस जरूर दिखाया है।
Ashlee Vance के एक ट्वीट के रिप्लाई में उन्होंने ये जानकारी दी है और इसी ट्वीट में मास्क ने अपने दिमाग में ऐसी एक चिप को इंस्टॉल कराने की बात कही है।
चिप की मदद से बंदर ने खेला वीडियो गेम।
आपने बंदर के वीडियो गेम खेलने की जो वीडियो देखी उस पर न्यूरलिंक कंपनी का ऐसा दावा है कि यह वीडियो शूट करने से 6 सप्ताह पहले ही चिप को बंदर के दिमाग में इंस्टॉल किया गया, और चिप लगाने के बाद उसे जॉयस्टिक की हेल्प से गेम खेलना सिखाया गया, जिससे कि उसने उस गेम को तेजी से सीख लिया।
न्यूरालिंक ने मशीन लर्निंग (AI) के जरिए पहचान लिया कि `पेजर´ चौकोर रंगीन बॉक्स को कहां ले जाएगा और उसके हाथों की हलचल की भी पहचान कर ली।