1-राम मंदिर को बनाने में स्टील या लोहे का उपयोग नहीं किया गया। यह पूरा मंदिर पत्थरों से बनाया गया हैं। 2-राम मंदिर के निर्माण में उपयोग की गई ईंटो पर श्री राम का नाम लिखा गया हैं। 3-राम मंदिर की नींव बनाने के लिए 2587 क्षेत्रों की मिट्टी का इस्तेमाल हुआ है।

4- अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर में 13 स्वर्ण द्वार स्थापित किए गया है। 5- राम मंदिर 107 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है। 6- राम मंदिर का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड कंपनी ने किया है। 7- श्रीराम मंदिर के गर्भगृह की आसन शिला मकराना मार्बल (संगमरमर) से बनी है।

8- अयोध्या में बनने वाली सीता झील की लंबाई 4 किलोमीटर तथा चौड़ाई 500 मीटर है। 9- मंदिर में कुल 44 द्वार का निर्माण किया गया है। 10- ट्रस्ट के अनुसार राम मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) करीब 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी। 11- अयोध्या के राम मंदिर में 5 मंडप होंगे।

12- अयोध्या के राम मंदिर को परंपरागत नागर शैली में तैयार किया गया है। 13- प्रभु श्री राम की मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगिराज द्वारा किया गया हैं। 14-राम मदिर के प्रवेश द्वार को पूर्व दिशा में बनाया गया हैं।

15- अयोध्या में बनने वाली सीता झील की लंबाई 4 किलोमीटर तथा चौड़ाई 500 मीटर है। 16- अयोध्या में रामलला का सिंहासन सोना मढ़े हुए संगमरमर  से तैयार किया गया है। 17- मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा को दिया गया है। श्री चंद्रकान्त सोमपुरा जी वर्ष 1986 से जन्मभूमि मंदिर की देखभाल कर रहे हैं।

18- राम मंदिर के निर्माण में उपयोग की गई ईंटो पर श्री राम का नाम लिखा गया हैं। 19- राम मंदिर की लंबाई 680 फीट, ऊंचाई 161 फीट और चौड़ाई 250 फीट हैं। मंदिर में लगभग 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं। यह तीन मंजिल का मंदिर हैं, जिसकी हर मंजिल 20 फीट ऊंची बनी हैं।

आखिर काली क्यों है रामलला की मूर्ति रामलला की मूर्ति को शिला पत्थर से बनाया गया है, जिसको कृष्ण शिला के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण है कि रामलला की मूर्ति काले रंग की है, जिसे हम श्यामल भी कहते हैं। शिला पत्थर के अंदर कई तरह के गुण हैं। वाल्मीकि जी ने अपनी रामायण में भगवान राम का जिक्र श्याम वर्ण में ही किया है। यह भी बड़ी वजह थी कि उनकी मूर्ति को श्यामल में ही बनाया गया है। रामलला का श्यामल रूप में ही पूजा जाता है।

जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पायी गयी है, गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आई.टी.आई बंबई, आई.टी.आई दिल्ली, आई.टी.आई चेन्नई, आई.टी.आई गुवाहटी, केंद्रीय  भवन अनुसंधान संस्थान रूड़की  से परामर्श लिया गया है।

19- कर्नाटक की अंजनी नामक पहाड़ी जहां पर भगवान हनुमान का जन्म स्थान बताया गया है वहां से पत्थर लाकर मंदिर निर्माण में सहयोग किया जाएगा। 20- 2500 से अधिक स्थानों से मिट्टी एकत्रित करके मंदिर में लाई जाएगी।

21- मंदिर के निर्माण में देश के अलग-अलग नदियों का पानी भी इस्तेमाल किया जाएगा तथा कुछ स्वच्छ कुंडों का पानी इस्तेमाल किया जाएगा। 22भगवान राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या पवित्र सप्त पुरियों में से एक है। अयोध्या के अलावा मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) और द्वारका पवित्र सप्त पुरियों में शामिल हैं।