कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज | Carbon Capture and Storage in Hindi
कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज एक ऐसा इंजीनियरिंग तंत्र है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में छोड़ने के बजाय, इसे स्रोत बिंदु से प्राप्त कर सीधे स्टोर कर लिया जाता है।
ये स्रोत ऐसे संयंत्र हो सकते हैं जिसमें भारी मात्रा में जीवाश्म ऊर्जा का प्रयोग होता है। कार्बन डाइऑक्साइड को स्रोत बिंदु से प्राप्त कर, संघनित कर लिया जाता है। संघनित करने के बाद इसे इंजेक्शन स्थल तक किसी परिवहन द्वारा ले जाया जाता है।
फिर इंजेक्शन स्थल पर इसे भूगर्भीय निर्माण हेतु अनिश्चित समय तक स्टोर करके रखा जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड को स्टोर कर इसे या तो गहरे भूगर्भीय पदार्थ में या गहरे समुद्री पदार्थ के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त इसे खनिज कार्बोनेट के रूप में भी बदला जा सकता है। इस तकनीक से आधुनिक पावर प्लांट से उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को 80 से 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
इस प्रकार वैश्विक स्तर पर हो रही ग्लोबल वार्मिंग पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। परन्तु इस तकनीक को उस स्तर पर पहुंचने में अभी काफी समय लगेगा।
विकासशील देशों में इस तकनीक के पहुंचने में जितना समय लगेगा, उस समय तक वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा इतनी अधिक हो जाएगी कि इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होगा।
8 जून, 2008 को जापान के आउमोरी शहर में जी-8 देशों के ऊर्जा मंत्रियों की बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें भारत एंव चीन ने ग्रीन हाउस गैसों को समाप्त करने हेतु कार्बन कैप्चर एवं स्टोरेज नामक कार्यक्रम आरंभ करने की घोषणा की।
भारत ने ग्रीन हाउस गैसों को कम करने के लिए आगामी वर्ष में 20 ऐसे प्रोजेक्टों को लांच करने की घोषणा की, जिसमें चीन भी भागीदार होगा।
पेरिस स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी व्यावासायिक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड को समाप्त करने वाली तकनीक उपलब्ध कराएगी। इस प्रकार इस समूह में 11 देश शामिल हो चुके हैं।