राहु ग्रह का बारह भावों में फल
राहु एक छाया ग्रह है। ज्योतिष में राहु को शनि की छाया माना जाता है। वैसे तो राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नही है फिर भी राहु ग्रह को मिथुन राशि में उच्च का व धनु राशि में नीच माना जाता है।
धातुओं में कोयला राहु ग्रह को प्रदर्शित करता है और फूलो में नीले रंग के फूल राहु को प्रिय है। ज्योतिष शास्त्र में दुख का कारक व अशुभ ग्रह माना गया है।
नक्षत्रो में राहु आद्रा, स्वाति व शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। राहु ग्रह कुंडली में अच्छे व बुरे दोनो प्रकार के फल देता है।
अगर कुंडली में राहु अच्छे भावो (केन्द्र, त्रिकोण) में और शुभ ग्रहों के साथ बैठा है, तो बहुत अच्छे परिणाम देता है और अगर कुंडली में त्रिक स्थान (6,8,12) या पाप ग्रहो के साथ स्थित है तो बुरे परिणाम देता है। राहु ही ऐसा ग्रह है जो ब्यक्ति में पाप करने की प्रवृत्ति पैदा करता है।
और इसकी अगली कड़ी में क्षणिक मौज मस्ती भी खूब देते है और जब आदमी पाप कर्म करके झूमने लगता है तभी आदमी को अकाएक, अचानक कोई मौका ना देकर आदमी को जमीन पर पटक देता है।
प्रथम भावः
राहु ग्रह अगर प्रथम भाव में अकेले हो या साथ में हो, तो ऐसा जातक बुहत स्वार्थी होता है। ऐसा जातक बहुत धोखेबाज होता है। ऐसा ब्यक्ति हर जगह केवल अपने स्वार्थ को ही देखता है।
ऐसे जातक पर भरोसा नही किया जा सकता है। राहु के प्रथम भाव में होने पर केतु सातवे भाव में होगा। केतु के सातवे भाव में होने पर ऐसा जातक हमेशा सेक्सुली असंतुष्ट रहता है तथा जीवन भर पाप कार्य में लगा रहता है। ऐसे जातक की वैवाहिक जीवन में परेशानी आती है।
दूसरा भावः
राहु ग्रह के दूसरे भाव में होने पर ऐसा जातक व्यक्ति हमेशा गलत तरीके से पैसा कमाने की कोशिश करता है। ऐसे ब्यक्त की बोली में मिठास नही रहती वह कड़वा बोलता है।
वह परिवार के निर्णयो से सहमत नही रहता और परिवार से विवाद भी करता है। उसको दांतो से व आंख से सम्बंधित परेशानी हो सकती है। ऐसा ब्यक्त नशा करता है, झूठ बोलता है।
तीसरा भावः
इस भाव में राहु ग्रह अच्छा होता है। यह व्यक्ति को पराक्रम देता है। यह ब्यक्ति की कम्यूनिकेशन स्किल को अच्छा करता है। पड़ोसियो से लाभ देता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करवाता है।
चतुर्थ भावः
राहु ग्रह इस भाव में ब्यक्त का मन हमेशा अशांत रखता है। उसका पार्टनर उच्च पद पर कार्य करता है तथा उसके नाजायज़ सम्बंध हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति को कभी भी मकान, भूमि अपने नाम से नही खरीदना चाहिए उसमें बिवाद हो सकता है। बुड़ापे में शारीरिक, मानसिक व वित्तीय रूप से समस्या आती है। ऐसे व्यक्ति अपने घर में किसी से भी सेक्स सम्बंध बना सकते है।
पांचवे भाव मेः
इस घर में राहु ग्रह संतान पक्ष के लिए अच्छा नही होता है। संतान देरी से होती है या संतान में कोई कमी हो सकती है। जातक के वुद्धि स्तर में कमी हो सकती है।
पढ़ाई में ब्यवधान होता है। इस भाव में अगर मंगल की राहु या केतु से युति हो तो यह गर्भपात करवा सकता है। पांचवे घर का राहु लव अफेयर करवाता है।
ऐसे लड़के या लड़कियां किसी से भी प्यार करते हैं, ये स्तर नही देखते। अगर किसी जातक कि कुंडली में पंचम भाव के स्वामी के साथ राहु की युति हो जाती है उसके साथ प्यार में धोखा होता है और ये लोग किसी से भी प्यार करते है। अगर यह युति बारहवें भाव में बनती है तो ये लोग प्यार में घर छोड़कर भाग जाते है।
छठे भाव मेः
इस घर में राहु ग्रह ऋण से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, रोगों का नाश करता है। परन्तु ऐसे ब्यक्ति को अपने कैरियर, जॉव मे रोज ब्यवधान आते है। ऐसे ब्यक्ति के कार्य स्थल(जॉव) पर राजनीति होती है। सेक्स लाइफ में समस्या आती है।
सातवे भाव मेः
इस घर का राहु ग्रह वैवाहिक जीवन के लिए अच्छा नही होता। यह विदेश से पैसा कमवा सकता है। ऐसे व्यक्ति का पार्टनर झगड़ालू होता है।
सातवे भाव वाले राहु को व्यापार में पार्टनरशिप नही करनी चाहिए। ये राहु अन्तरजातीय विवाह करवाता है। ये लोग किसी से भी शादी कर सकते हैं।
प्रथम भाव में केतु के होने के कारण ये लोग अपने आप से संतुष्ट नही रहते है। अगर किसी जातक कि कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी के साथ राहु की युति बनती है तो ऐसे जातक को विवाह में धोखा मिल सकता है और अगर यह युति 12 वे भाव में बने तो जीवनसाथी किसी के साथ घर छोड़कर भाग जाता है।
आठवे भाव मेः
इस भाव का राहु ग्रह गुप्तांग से सम्बंधित बीमारी देता है। यह अचानक बहुत बड़ी समस्या देता है और अचानक मृत्यु देता है। यह आयु के लिए अच्छा नही है।
इस घर में राहु के साथ शुक्र हो तो वाहन से दुर्घटना हो सकती है या महिला के द्वारा सेक्स से बिमारी मिलती है। ऐसे ब्यक्ति के सर्जरी हो सकती है और अचानक दुर्घटना भी हो सकती है।
नवम भाव मेः
ऐसे व्यक्ति का अचानक भाग्य उदय होता है। विदेश जाने के योग बनते हैं। यह राहु पूजा पाठ तथा धार्मिक कार्यों में विध्न पैदा करता है। परिवार को संतान के दूर जाने से दुःख प्राप्त होता है। भाग्य देर से शुरू होता है।
दशम भाव मेः
इस भाव में राहु ग्रह बहुत अच्छा होता है। यह कैरियर में बहुत आगे ले जाता है। ऐसा जातक उच्च पद पर कार्य करता है। उसके नीचे बहुत लोग काम करते हैं।
लोग उससे डरते हैं। ऐसे लोग राजनीति में जाते हैं। ये लोग चींटिग से कार्य करते है। ऐसे ब्यक्तियों को ज्यादातर लड़किया पैदा होती हैं।
ऐसे लोगों की अपने पिता से कभी नही बनती। ऐसे जातक ज्यादातर किराये के घर में रहते है। ये लोग घर से दूर भागते है क्योंकि चतुर्थ भाव में केतु होता है।
ग्यारहवे भाव मेः
इस घर में राहु ग्रह जातक को अचानक लाभ देता है। ये जातक प्रापर्टी प्लान नही कर पाते। इन लोगों को दोस्तो से लाभ होता है। संतान से अंसतोष मिलता है। यह राहु दोस्तो की सहायता से विदेश में सेटल करवाता है।
बारहवे भाव मेः
यह राहु ग्रह वैवाहिक जीवन को खराव करवाता है। यह तलाक भी करवा सकता है। यह आदमी को नशा करवाता है और जेल भी भिजवा सकता है। ये लोग शादी करना जरूरी नही समझते और लिव इन में रहना पसंद करते हैं
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