फुल फॉर्म ऑफ IAS | पॉवर ऑफ DM | सैलेरी ऑफ IAS
आई.ए.एस देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा मानी जाती है। आजकल देश के अधिकांश युवा अपने कैरियर के रूप में सिविल सेवा को चुनना चाहते हैं।
सिविल सेवाओं में मुख्यतः तीन सेवा आई.ए.एस, आई.पी.एस और आई.एफ.एस आती हैं। इनमें से आई.ए.एस बनना अधिकांश युवाओं की पहली पसंद है।
आज हम इस आर्टिकल में आई.ए.एस से जुड़ी सभी जानकारी आपसे साझा करने जा रहें हैं जो हमने विश्वसनीय स्रोतों व जिलाधिकारी कार्यालय से इक्ट्ठा की हैं। इस आर्टिकल में आप जानेगें।
- फुल फार्म ऑफ़ डी.एम एंड आई.ए.एस
- डीएम और क्लेक्टर में क्या अंतर होता है।
- जिलाधिकारी के अधिकार ( पावर आफ आई.ए.एस आफिसर)
- आई.ए.एस की सैलरी कितनी होती है।
- आई.ए.एस को क्या-क्या सुविधाएं मिलती है।
- सिविल सेवा परीक्षा के लिए क्या योग्यता( Qualification) होनी चाहिए।
- सिविल सेवा परीक्षा के लिए कितनी उम्र(Age) होनी चाहिए।
- सिविल सेवा परीक्षा के लिए पाठयक्रम(Syllabus)
DM फुल फार्मः
डी.एम में डी डिस्ट्रिक्ट और एम, मजिस्ट्रेट को इंगित करता है। इसलिए डी.एम को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहा जाता है। किसी भी जिले में डी.एम को डी.सी मतलब डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर भी कहा जाता है।
IAS फुल फार्म | फुल फॉर्म ऑफ IAS
I.A.S में आई फॉर इण्डियन, ए फॉर एडमिनिस्ट्रेटिव और एस फॉर सर्विस को इंगित करता है। इसलिए I.A.S को इण्डियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस कहा जाता है।
डी.एम और कलेक्टर में क्या अंतर है | Difference between D.M and Collector
पहले आपको यह समझना होगा कि दोनो भूमिकाएं एक ही व्यक्ति के द्वारा निभायी जाती हैं। व्रिटिश शासनकाल में प्रत्येक जिले में एक-एक कलेक्टर नियुक्त किया जाता था।
क्लेक्टर शब्द क्लेक्ट शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है संग्रह मतलब इक्ट्ठा करना।
उस समय सभी तरह के राजस्व कर को संग्रह करने का अधिकार क्लेक्टर को होता था। इसलिए ही जिलाधिकारी को आज भी कलेक्टर कहा जाता है क्योकिं जब वह राजस्व से जुड़े कार्य करता है तव बह क्लेक्टर कहलाता है और वहीं जब बह कानून व्यवस्था से जुड़े कार्य करता है तो बह मजिस्ट्रेट कहलाता है। आगे आपको जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट से जुड़े कार्यो के बारे में विस्तृत से बताया जा रहा है।
जिलाधिकारी के अधिकार | Powers and Duties of DM
जिलाधिकारी जिले का मुख्य कार्यकारी, प्रशासनिक व राजस्व अधिकारी होता है। जिले के सभी विभोगों के अधिकारी उसके अन्तर्गत कार्य करते हैं।
आई.ए.एस किसी भी जिले में केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। आई.ए.एस का मुख्य कार्य केन्द्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी जनहित योजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कराना है।
जब जिलाधिकारी, जिला कलेक्टर के रूप में कार्य करता है तव उसके द्वारा निम्न भूमिकाएं निभायी जाती हैं।
जिला क्लेक्टर के कार्य | Duties of District Collector
- जिला क्लेक्टर राजस्व से सम्बंधित विवादो को सुलझाने के लिए राजस्व न्यायालय का संचालन करता है।
- जिला क्लेक्टर जिले में विभिन्न तरह के शुल्क जैसे सिंचाई शुल्क, उत्पाद शुल्क, आयकर बकाया और अन्य तरह के शुल्क को कलेक्ट करवाने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होती है।
- जिला क्लेक्टर अपने जिले में राहत और पुनर्वास सम्बंधी कार्य करता है।
- भूमि अधिग्रहण का कार्य करना। भूमि राजस्व का संग्रह करवाना व भूमि से सम्बंधी रिकार्ड को बनाएं रखना।
- विभिन्न तरह के प्रमाण पत्र जैसे एस.सी, एस.टी, ओबीसी, आर्थिक रूप से कमजोर, विवाह आदि को जारी करवाना।
- भूमि का मूल्यांकन
- कृषि ऋणों का वितरण
- जिला बैंकर्स समन्वय समिति के अध्यक्ष के रूप में
- जिला उद्योग केंद्र के प्रमुख के रूप में
जब जिलाधिकारी द्वारा जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया जाता है तो उसके निम्न दायित्व होते हैं।
जिला मजिस्ट्रेट के कार्यः Duties as a District Magistrate
- जिले में ला एंड आर्डर को बनाये रखना।
- अधीनस्थ कार्यकारी मजिस्ट्रेटों का निरीक्षण करना।
- जिले में पुलिस कार्यालयों और जेलों का निरीक्षण करना।
- जिला मजिस्ट्रेट पुलिस के कार्यों को नियंत्रित और निर्देशित करता है।
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता की निवारक धारा के तहत मामलों की सुनवाई
- भूमि अधिग्रहण का मध्यस्थ
- कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के आदेश को अधिकृत करना।
- आर्म्स एक्ट के तहत हथियार रखने का लाइसेंस देना।
- जिले में सत्र न्यायाधीश के परामर्श के उपरांत लोक अभियोजकों और अतिरिक्त लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए नामों की संस्तुति करना।
- प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, अकाल या महामारी के दौरान आपदा प्रबंधन।
- दंगों या बाहरी आक्रमण के दौरान संकट प्रबंधन।
- बाल श्रम / बंधुआ मजदूरी से संबंधित मामले।
उपायुक्त / जिला आयुक्त के रूप में कार्यः Duties as a District Commissioner
- सभी मामलों पर संभागीय आयुक्त को रिपोर्ट भेजना।
- संभागीय आयुक्त की अनुपस्थिति में जिला विकास प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को अंजाम देता है।
डी.एम की सैलरी कितनी होती है | IAS सैलेरी इन इंडिय़ा
पे लेवल | वेसिक पे | सेवा वर्ष | पद
जिला प्रशासन |
राज्य सचिवालय | केन्द्रीय सचिवालय |
10 | 56,100 | 1-4 | उप जिलाधिकारी | अनुसचिव | सहायक सचिव |
11 | 67,100 | 5-8 | अपर जिलाधिकारी | उप सचिव/संयुक्त सचिव | अनु सचिव |
12 | 78,800 | 9-12 | जिलाधिकारी | अपर सचिव/निदेशक | उप सचिव |
13 | 1,18,500 | 13-16 | जिलाधिकारी | प्रभारी सचिव | निदेशक |
14 | 1,44,200 | 16-24 | प्रभागीय कमिश्नर | सचिव | संयुक्त सचिव |
15 | 1,62,200 | 25-30 | प्रभागीय कमिश्नर | प्रमुख सचिव | अपर सचिव |
16 | 2,05,400 | 30-33 | कोई समान पद नहीं | अपर मुख्य सचिव | कोई समान पद नहीं |
17 | 2,25,000 | 34-36 | कोई समान पद नहीं | मुख्य सचिव | सचिव |
18 | 2,50,000 | 37 प्लस | कोई समान पद नहीं | कोई समान पद नहीं | कैविनेट सचिव भारत सरकार |
आई.ए.एस सैलेरी स्ट्रक्चर (जूनियर लेवल):
ऊपर दिये गये लेवल के अनुसार आप किसी भी रैंक पर आई.ए.एस की सैलरी को कैलकुलेट कर सकते हैं। आई.ए,एस को सरकारी भवन व सरकारी वाहन मिलता है इसलिए हमने नीचे दिये गये सैलरी स्ट्रक्चर में मकान भत्ता व गाड़ी भत्ता नही जोड़ा है। आप किसी भी लेवल पर सैलरी को कुछ इस प्रकार कैलकुलेट कर सकते हैं।
वेसिक पे- रू 56,100
महगांई भत्ता-17 प्रतिशत(2020) रू 9537
एन.पी.एस कटौती-10 प्रतिशत रू 5610
सैलरी अनुमानित रू 60027
डी.एम को मिलने वाली सुविधाएः Facilities of IAS Officer
एक जिलाधिकारी को सैलरी के अतिरिक्त कई तरह की सुविधाएं दी जाती है जो निम्न प्रकार हैं।
- अपार्टमेंट (3 या 4 बीएचके)
- बिजली और पानी का बिल
- चिकित्सा व्यय
- फ्री फोन कॉल व इंटरनेट सुविधा
- कार्यालय वाहन
- अध्ययन अवकाश
- विदेश अध्ययन विकल्प
- परिवहन भत्ते
- सुरक्षा गार्ड और घरेलू सहायक
डी.एम बनने के लिए शैक्षिक योग्यता | Qualification for Civil Service Exam
यू.पी.एस.सी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवार के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातर की डिग्री होनी चाहिए।
इसके अलावा वे उम्मीदवार जो स्नातक में अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठ चुके हैं और परिणाम की प्रतीक्षा कर रहें है वे भी प्रारंभिक परीक्षा के लिए पात्र हैं। ऐसे उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन के साथ उक्त परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
सिविल सेवा परीक्षा के लिए आयु सीमा | Age for Civil Service Exam
सिविल परीक्षा के लिए, 01 अगस्त, 2021 के अनुसार उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम उम्र 32 वर्ष होनी चाहिए मतलब उसका जन्म 02 अगस्त 1989 से पहले और 01 अगस्त 2000 के बाद ना हुआ हो।
उपरोक्त निर्धारित ऊपरी आयु सीमा में निम्नलिखित उम्मीदवारों के लिए छूट:
5 वर्ष – अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (एससी / एसटी)
3 वर्ष – अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)
सिविल सेवा परीक्षा के लिए पाठयक्रमः Syllabus and Pattern for Civil Service Exam
सिविल सेवा परीक्षा में तीन चरण होते हैः
प्रथम चरणः प्रथम चरण में प्रारंभिक परीक्षा होती है जिसमें दो परीक्षाएं होती हैं। प्रथम परीक्षा 200 अंको की सामान्य अध्धयन विषय की होती है। दूसरी परीक्षा उसी दिन 200 अंको की सी-सैट की होती है। दोनो ही परीक्षाओं में बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्न होते हैं। दोनो परीक्षाओं में एक गलत उत्तर देने पर एक तिहाई अंक की निगेटिव मार्किंग होती है।
पेपर I (सामान्य अध्धयन) – (200 अंक) अवधि: दो घंटे
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाएं।
भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन।
भारतीय और विश्व भूगोल – भारत और विश्व का भौतिक, सामाजिक, आर्थिक भूगोल।
भारतीय राजनीति और शासन – संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे, आदि।
आर्थिक और सामाजिक विकास सतत विकास, गरीबी, समावेश, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र की पहल, आदि।
पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर सामान्य मुद्दे – विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है।
सामान्य विज्ञान।
पेपर II (सी सैट) – (200 अंक) अवधि: दो घंटे –
यह एक क्वालीफांइग पेपर है, उम्मीदवारों को क्वालीफाई करने के लिए न्यूनतम 33% स्कोर अंक लाना आवश्यक है।
कॉम्प्रिहेंशन
संचार कौशल सहित पारस्परिक कौशल
तार्किक तर्क और विश्लेषणात्मक क्षमता
निर्णय लेना और समस्या-समाधान करना
सामान्य मानसिक क्षमता
मूल संख्या (संख्या और उनके संबंध, परिमाण के आदेश, आदि) (कक्षा 10 स्तर), डेटा व्याख्या (चार्ट, रेखांकन, तालिकाओं, डेटा पर्याप्तता आदि) – कक्षा 10 स्तर)
सिविल सेवा – मुख्य परीक्षा – परीक्षा पैटर्न
ए) लिखित परीक्षा
मुख्य परीक्षा में कुल 9 पेपर होंगे जिनमें 2 क्वालीफांइग पेपर और 7 पेपर जिनके आधार पर मेरिट बनेगी। सभी पेपरों में सब्जेक्टिव प्रकार के प्रश्न आयेगें।
क्वालीफाइंग पेपरः
पेपर ए (300 अंक) – संविधान की 8 वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में से उम्मीदवार द्वारा चयनित की जाने वाली भारतीय भाषा में से एक
पेपर बी (300 अंक) – अंग्रेजी
भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी के पेपर (पेपर ए और पेपर बी) मैट्रिक या समकक्ष स्तर के होंगे और क्वालीफाइंग होंगे। इन पेपरों में प्राप्त अंकों को मैरिट के लिए नहीं गिना जाएगा।
हालांकि, भारतीय भाषा पर आधारित पेपर ए अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम राज्यों से आने वाले उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य नहीं होगा।
मेरिट के लिए लिए जाने वाले पेपर:
पेपर – I निबंध 250 अंक
पेपर – II
सामान्य अध्ययन – I
(भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व और समाज का इतिहास और भूगोल।)
250 अंक
पेपर – III
सामान्य अध्ययन – II
(शासन, संविधान, राजनीति, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध।)
250 अंक
पेपर – IV
सामान्य अध्ययन – III
(प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन।)
250 अंक
पेपर – V
सामान्य अध्ययन – IV
(नैतिकता, अखंडता और एप्टीट्यूड)
250 अंक
पेपर – VI
वैकल्पिक विषय – पेपर 1
250 अंक
पेपर – VII
वैकल्पिक विषय – पेपर 2
250 अंक
(लिखित परीक्षा)- कुल अंक- 1750 अंक
इंटरव्यू- 275 अंक
कुल अंक- 2025 अंक
पेपर 1 से पेपर 7 तक प्राप्त अंकों को मेरिट रैंकिंग के लिए गिना जाएगा।
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