राधाकिशन दमानी कौन हैं?
राधाकिशन दमानी का जन्म 1954 में हुआ था। इनके पिता शिवकिशन दमानी शुरू में एक इन्वेस्टर थे जो बाद में एक बड़े बिजनेसमैन बने व डी मार्ट के संस्थापक बने। डी मार्ट एक स्टोर हैं जो जहां आप खाने पीने से सम्बंधित चीजों को सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं।
राधाकिशन दमानी का जन्म एक मारवाड़ी गरीब परिवार में हुआ। ये एक सेल्फ मेड बिलियनर बने। इनके पिता दलाल स्ट्रीट में काम करते थे। शुरूआत में राधाकिशन भी एक ब्रोकर थे जो बाद में एक इन्वेस्टर बने। राधाकिशन जब एक स्टोक ब्रोकर थे तो ये सीख गये थे कि ब्रोकर बनकर तो पैसा नही कमाया जा सकता और मुझे अपना ही पैसा लगाना पड़ेगा।
इन्हे ये पता चल गया था कि इन्बेस्टर बनकर ही पैसा कमाया जा सकता है। आगे चलकर ये इतने बड़े इन्वेस्टर बन गये कि राकेश झुनझुनवाला भी इनको अपना गुरू मानने लगे।
इनका जीवन बहुत साधारण है। ये हमेशा सफेद कपड़े पहनना ही पसंद करते हैं। ये मिस्टर व्हाइट के नाम से जाने जाते हैं। राधाकिशन कभी किसी पब्लिक इवेंट में भी नही जाते। ये ना तो किसी को अपना इन्टरव्यू देते हैं ना ही किसी से मिलते हैं। राधाकिशन पब्लिक और मीडिया से बहुत दूर रहते हैं।
राधाकिशन इतने सफल बिजनेसमैन कैसे बने। इसके लिए आपको समझना होगा कि राधाकिशन अपने पैसे को कैसे इन्वेस्ट करते है। आपको यहां ये समझने चाहिए कि किसी शेयर को खरीदते समय किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।
किसी शेयर को कैसे खरीदना चाहिए?
राधा कष्ण किसी भी कम्पनी के शेयर खरीदते समय पहले कम्पनी की स्टडी करते हैं और कुछ चीजों का विश्लेषण करते हैं जैसे
- P/E Ratio
- EBITDA
- Net Margin
- Return On Capital Employed
- Year On Year Growth
- Quarterly Financial Ratio
अगर आप शेयर मार्केट में शेयर खरीदना चाहते हैं और इन्वेस्टर बनना चाहते हैं तो आपको कम्पनी की इन चीजों का विश्लेषण करना चाहिए।
डी मार्ट स्टोर इतना सफल स्टोर कैसे बना?
डी मार्ट में ये अपना सामान बहुत सस्ता बेचते हैं। ये अपना सामान इतना सस्ता बेचते हैं इनके स्टोर पर बहुत ज्यादा ग्राहक आ जायें। जब ज्यादा ग्राहक आयेंगे तो बहुत माल बिकेगा, और बहुत ज्यादा कैश आयेगा। जब बहुत ज्यादा कैश आयेगा तो बहुत सारा सामान बल्क में खरीदा जायेगा।
जब आप बल्क में बहुत सारा सामान खरीदोगे तो सामने वाला आपको सस्ता सामान देगा। क्योंकि आप जानते हैं एक किलो माल का रेट अलग होता है और 100 किलो माल का रेट अलग होता है। जब माल सस्ता मिलेगा तो ग्राहकों को ज्यादा सस्ता बेच दिया जाता है।
जब ग्राहकों को इतना सस्ता डिस्काउंट मिलता है तो ग्राहक दोवारा सामान खरीदने जाता है और फिर बहुत सारा सामान खरीदता है और इनके पास फिर से बहुत सारा कैश आ जाता है और ये फिर बहुत सारा सामान सस्ते में खरीद लेते हैं। इस प्रकार डी मार्ट एक सफल स्टोर बनता चला गया।
D Mart Income :
- Revenue per Year- 24000 crore
- Profit- 1300 crore
- Inventory- 2000 Crore
- Sales Cycle- 30 Days
- Accounts Receivables: 20 Crore
डी मार्ट बिजनेस स्ट्रेटजी क्या है?
1- Strong Fundamentals:
राधाकिशन इन्वेस्टर होने के कारण ये जानते थे कि बाजार में पैसा कैसे लगाना है। शुरू में 1999 में इन्होने अपना बाजार की फ्रेन्चाइजी ली थी परन्तु जब ये सफल नही हुआ तो इन्होने इसे छोड़ दिया और ये अमेरिका चले गये और इन्होने वाल मार्ट को स्टडी किया।
फिर इसको समझकर भारत आये और अपनी कम्पनी डी मार्ट 2002 में खोल दी। शुरूआत में 2002 में इनके 25 स्टोर थे और आज 2021 में इनके 200 स्टोर है। ये अपने बिजनेस में बहुत सफल हुए।
2017 में ये 1870 करोड़ का आईपीओ भी लेकर आये। इनका आईपीओ बहुत सफल हुआ। आज की तारीख में इनका 2 लाख करोड़ का मार्केट कैप हो चुका है।
राधाकिशन कम्पनी का पूरा स्टडी करने के बाद अपना पैसा स्टोक में लगाते थे। इनका फन्डामेन्टल बहुत स्ट्रोंग था इसलिए ये क्वालिटी स्टोक को बहुत सस्ते में खरीदते थे।
2- Slotting Fees:
ये स्लोटिंग फीस क्या है। इसको ऐसे समझते है मानो कोई साबुन बनाने वाली कोई कम्पनी है। कम्पनी का मालिक डी मार्ट से कहता है कि तुम मेरा साबुन अपने स्टोर में रख लो। तो डी मार्ट उस कम्पनी का साबुन अपने यहां रखने के लिए उससे फीस लेगा।
जब डी मार्ट उससे फीस लेगा तो डी मार्ट उस प्रोडक्ट को बाजार की तुलना में और सस्ता बेचेगा क्योकि बह अपना मार्जिन उससे लेने वाली फीस में एडजस्ट कर लेगा। इससे इनके यहां वो साबुन और दुकान की तुलना में सस्ता मिलेगा और इनके यहां ज्यादा ग्राहक आयेगें।
3- Strong Control On Operating Expenditure
इसका मतलब है कम्पनी को चलाने का खर्चा। इन्होने डी मार्ट का इन्टीरियर बहुत लो रखा। ये अपने स्टोर में एयर कन्डीशनर का यूज नही करते। ये डी मार्ट स्टोर को कभी भी मॉल जैसी महंगी जगह में नही चलाते।
इनके म़ॉल में कभी आपने सोफा, टेवल, चेयर नही देखी होगी। डी मार्ट अपना सामान सस्ता बेचने के चक्कर में अपने सारे खर्च कम रखता है। ये कम स्पेस में ज्यादा माल रखते हैं।
बिलिंग काउन्टर कम रखते हैं इससे कम मैन पॉवर की जरूरत पड़ेगी और कम मशीन की जरूरत पड़ेगी। ये स्टोरएवल फूड आइटम बेचते हैं।
4- Partner with the partner
ये अपने बिजनेस पार्टनर के साथ एक अच्छा ऱिश्ता बनाकर चलते हैं। ये अपने पार्टनर को पैसा टाइम पर देते हैं। कम्पनी से बल्क में सामान खरीदते हैं। ये अपने पार्टनर को 7 दिन में बापस कर देते हैं इससे इनको कैश डिसकाउंट भी मिलता है और ये सामान को और सस्ता बेच पाते हैं।
ये अपना सारा माल सीधे मैनुफेक्चरर से खरीदते हैं। इससे डिस्ट्रीव्यूटर की कॉस्ट भी बच गयी और होल सेलर की कॉस्ट भी बच गयी। सीधा सामान मैनुफेक्चरर से रिटेलर के पास आ गया। इससे ये अपने सामान की कॉस्ट बहुत सस्ती रखते हैं।
5- Soradic Spike V/S Sustained Success
ये अपना सामान पूरे साल बेचते हैं। मतलब और स्टोर जैसे कुछ विशेष समय जैसे दीवाली, होली, नया साल जैसे दिनो ग्राहकों को सस्ते ऑफर देते है। परन्तु डी मार्ट अपने ग्राहकों को पूरे साल सस्ते ऑफर देते हैं जिससे इनकी सेल साल भर एक जैसी ही चलती है।
इनको जो ग्राहक है वो ज्यादातर मिडिल क्लास कस्टमर है। इन कस्टमर के पास सामान खरीदने के लिए पर्याप्त समय होता है। इनके स्टोर में भीड़ बहुत होती है इसलिए ग्राहक सोचता है कि बार-बार कौन आयेगा, इतना सस्ता सामान मिल रहा है, टाइम लग रहा है तो लगने दो पर सामान बहुत सारा खरीद लो। इसलिए सस्ते के चक्कर में लोग ज्यादा सामान खरीदते हैं।
6-GO with Local
डी मार्ट अपने स्टोर पर उस क्षेत्र का लोकल आईटम जरूर बेचता है। क्योंकि लोगों को लोकल सामान बहुत पसंद होता है इसलिए ये लोकल सामान को सस्ते में बेचते हैं।
7- Organic Expansion
डी मार्ट के 80 प्रतिशत स्टोर अपने खुद के हैं। ये अपने स्टोर को शहर के अन्दर नही खरीदते बल्कि शहर के बाहर खरीदते हैं। इससे प्रोपर्टी सस्ती मिलती है। इसका एक और फायदा है जब स्टोर शहर से दूर होगा तब ग्राहक तभी स्टोर पर जायेगा जब उसे बहुत सारा सामान खरीदना होगा।
इसलिए इनके स्टोर पर ग्राहक महीने में एक बार जायेगा पर सस्ते के चक्कर में खूब सारा सामान खरीदेगा।