केतु के उपाय | केतु के मंत्र | कुंडली में केतु के लक्षण

केतु को ज्योतिष में एक छाया ग्रह माना जाता है। इसकी परिकल्पना सूर्य और चन्द्रमा के आपसी संबंधो से की गयी है। अगर केतु कुंडली में अकेला बैठा है तो इसका स्वभाव मंगल की तरह हो जाता है।

केतु एक उत्प्रेरक की भांति कार्य करता है यह कुंडली में जिस ग्रह की साथ बैठता है उसकी शक्तियों में वृद्धि करता है। केतु ज्योतिष में गूढ़ ज्ञान, अध्यात्म, मोक्ष, तंत्र मंत्र, हिंसा, विस्फोट का कारक है।

केतु के उपाय

खराब केतु के लक्षणः

 केतु के खराव होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व उदास और मलिन हो जाता है। व्यक्ति में ऊर्जा का अभाव दिखता है और व्यक्ति का मन भटकने लगता है।

केतु के बुरे प्रभाव के कारण व्यक्ति की नहाने की इच्छा नही होती।  केतु के पीड़ित होने पर व्यक्ति को रक्त से संबंधित समस्याएं होने लगती है। केतु के खराब होने पर व्यक्ति को बुरे सपने आते है।

व्यक्ति का मन ईश्वर और आध्यात्म से दूर हो जाता है। व्यक्ति भोगवादी होने लगता है। केतु के पीड़ित होने पर व्यक्ति को देर से सोने और देर से जागने की आदत पड़ जाती है।  ऐसा व्यक्ति गलतियां करता है और वो उन्हे छिपाता भी है।

 केतु के अच्छे प्रभावः

केतु अगर कुंडली में अच्छा होता है तो व्यक्ति शुरूआत में लापरवाह होता है और बाद में अनुशासित हो जाता है। केतु के अच्छा होने पर व्यक्ति का उच्चारण अच्छा होता है।

व्यक्ति धार्मिक स्थान पर यात्रा करना पसंद करता है। व्यक्ति अल्प आयु से ही धर्म, आध्यात्म और गूढ़ विधाओं की तरफ झुक जाता है। ऐसे लोग समाज के लिए बरदान होते हैं।

ये लोग अपने को नुकसान पहुंचाकर भी दूसरो को लाभ देते हैं। अगर बृहस्पति के साथ केतु भी अच्छा है तो ऐसे व्यक्ति विद्धान, ज्ञानी, और अपूर्व तेजस्वी होते हैं।  अगर कुंडली में केतु शनि, मंगल के साथ हो तो व्यक्ति साहसी और नायक होता है।

केतु के मंत्रः

केतु का तात्रिंक मंत्र

ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नमः

केतु का वैदिक मंत्र

ॐ कें केतवे नमः 

 केतु के उपायः

  • अगर कुंडली में केतु खराब है तो केतु के तांत्रिक और वैदिक मंत्र का जप करना चाहिए। रोज शाम को 108 बार मंत्र का जप करना चाहिए।
  • शनिवार को काले कंबल का दान करें।
  • सप्ताह में एक बार भैरव मंदिर में नारियल अर्पण करें।
  • ब्रहम मुहूर्त में ही उठें और सूर्य को जल दें।
  • नशा ना करें और हरे पौधो को ना काटें।
  • केतु के रत्न लहसुनिया को कनिष्ठा उंगली में धारण करें। इसको आप चांदी या सोने मे धारण कर सकते हैं।
  • सात का अनाज, लगभग सवा सात किलो, चाकलेट रंग के कपड़े में बांधकर एक नारियल के साथ दान करें।

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