कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट क्या है?
दुनियाभर में कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर चिंता जतायी जा रही है। इसे अब तक का सबसे ज्यादा म्यूटेशन वाला वायरस बताया जा रहा है। इसमें इतने ज्यादा म्यूटेशन हैं कि इसे एक वैज्ञानिक ने डरावना बताया है तो दूसरे ने इसे अब तक का सबसे खराब वेरिएंट कहा।
इसके सामने आने के बाद सबाल उठने लगे हैं कि यह वेरिएंट कितना संक्रामक है। वैक्सीन के बावजूद यह कितनी तेजी से फैल सकता है और इसे लेकर क्या करना चाहिए। फिलहाल इसे लेकर कई कयास लगाये जा रहे हैं।
इस वेरिएंट को बी.1.1.529 कहा जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका से मिली जानकारी के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को सुझाव दिया है कि इस वेरिएंट को चिंताजनक श्रेणी में रखा जाए।
इसको देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह घोषणा की है कि वेरिएंट बी 11529 चिंताजनक श्रेणी का है और इसे चिंताजनक श्रेणी में रखा गया है। इस वेरिएंट का नाम ओमिक्रॉन रखा गया है
ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से कैसे अलग है?
दक्षिण अफ्रीका के एक प्रोफसर डी ओलिवेरा ने बताया है कि इसमें बहुत ज्यादा म्यूटेशन है। इसमें म्यूटेशन का असमान्य सा समूह है। यह अन्य वेरिएंट से बहुत अलग है। इसमें सबसे ज्यादा 50 म्यूटेशन है और 30 से ज्यादा म्यूटेशन स्पाईक प्रोटीन में हुए हैं।
ज्यादातर वैक्सीन प्रोटीन पर हमला करते हैं और इन्ही के रास्ते वायरस भी शरीर में प्रवेश करता है। वायरस के हमारे शरीर की कोशिकाओं से सम्पर्क बनाने वाले हिस्से की बात करें तो इसमें 10 म्यूटेशन हुए हैं।
जवकि दुनिया भर में तवाही मचाने वाले डेल्टा वेरिएंट में केवल 2 म्यूटेशन हुए थे। इस तरह का म्यूटेशन किसी एक मरीज में होने की सम्भावना है जो वायरस से लड़ने में सक्षम ना हो पाया हो।
सभी तरह के म्यूटेशन का मतलब यह नही होता है कि वे बुरे होते हैं। लेकिन ये देखना जरूरी है कि इसमें क्या क्या म्यूटेशन हुए हैं।
हालांकि चिन्ता इस बात कि है कि यह वायरस चीन के वुहान में मिले मूल वायरस से मौलिक रूप से अलग है। इसका मतलब ये है कि उस मूल वायरस को ध्यान में रखकर बनायी गयी वैक्सीन इस वेरिएंट पर अप्रभावी हो सकती है। दूसरे वेरिएंट में भी कुछ म्यूटेशन देखे गये हैं।
कुछ म्यूटेशन ऐसे होते हैं जो एंटीवाडी के लिए वायरस को पहचानना मुश्किल बनाते हैं। और इससे वैक्सीन का असर कम हो जाता है। कुछ म्यूटेशन बिल्कुल अलग तरह के होते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में नटाल यूनिवर्सिटि के प्रोफेसर रिचर्ड कहते हैं हमारी चिंता ये है कि इससे वायरस की एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने की क्षमता बढ़ सकती है।
ये प्रतिरक्षा प्रणाली के हिस्सों से भी बच सकता है। यूनिवर्सिटि ऑफ कैम्ब्रिज के प्रोफेसर कहते है की बीटा प्रतिरक्षा तंत्र से बच सकता था, डेल्टा वेरिएंट में संक्रामकता थी और प्रतिरक्षा तंत्र से बचने की थोड़ी क्षमता थी।
इस वेरिएंट के टेस्ट में अजीब नतीजे सामने आ रहे हैं। यह बताता है कि गाउटिंग के 90 प्रतिशत मामले पहले से ही इस वेरिएंट के हो सकते हैं।
इससे यह पता नही चलता कि ये डेल्टा वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैल सकता है। यह कितना गंभीर है और वैक्सीन इस पर कितनी प्रभावी है। अभी यह भी नही बताया जा सकता कि यह उन देशों में कितनी तेजी से फैलेगा जहां अधिकतर लोगों को वेक्सीन लग चुकी है।
इस वेरिएंट से कैसा बचा सकता है?
WHO ने बताया है कि इस वेरिएंट के कई म्यूटेश चिंता पैदा करने वाले हैं। WHO के टेक्निकल ग्रुप वायरस की बी 11529 वेरिएंट पर चर्चा की और यह समझने की कोशिश की है वह इस वेरिएंट के बारे में क्या जानते हैं।
इस वेरिएंट में बहुत ज्यादा संख्या में म्यूटेशन देखे गए हैं और इनमें से कुछ म्यूटेशन में बहुत चिंताजनक लक्षण है। फिलहाल इस पर कई स्टडीज चल रही हैं, दक्षिण अफ्रीका और दूसरे देशों में काफी काम हो रहा है।
जिससे इस वेरिएंट के फैलने के तरीके, इसके खतरे और वैक्सीन इस पर कैसे असर करेगी के बारे में पता चल सकेगा। जब किसी वेरिएंट को चिंताजनक श्रेणी में डाला जाता है तो हमें बेहतर जीनोमिक सिक्चेंसिंग की जरूरत होती है।
जिससे यह पता चल सके कि यह वेरिएंट कहां फैल रहा है। इसके साथ ही इससे जुड़ी स्टडीज बहुत ज्यादा अहम हो जाती हैं जिससे इसकी गंभीरता को पता चल सके और वैक्सीन के इस पर असर का पता चल सके।
इसलिए यह आवश्यक है कि जब तक इस वेरिएंट के बारे में सही से पता नही चल पाता जब तक आप सावधानी बरतें। भीड भाड़ वाले इलाके में ना जाएं। अगर आपने वैक्सीन की दोनो डोज़ नही ली हैं तो इन्हे जल्द से जल्द लगवा लें। एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें।
यह भी आवश्यक है कि आप अपने खान पान पर भी ध्यान दें। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा हेल्दी फूड खायें जिसकी आपकी इम्यूनिटि बढ़े। क्योंकि किसी भी नये वेरिएंट से आपको आपके द्वारा अपनायी जा रही सुरक्षा व आपकी इम्यूनिटि ही बचा सकती है।