5G नेटवर्क क्या है? | 5G Technology क्या है? |  5G टेक्नोलॉजी बेनिफिट्स एंड चैलेंज | What is 5G Network?

5 G टेक्नोलॉजी क्या है

Table of Contents

मोबाइल नेटवर्क का इतिहास | History of Mobile Network

मोबाइल संचार के क्षेत्र में 1980 से लेकर 2023 तक क्रमशः 1G, 2G, 3G,  और 4G टेक्नोलॉजी, व 5G नेटवर्क का विकास हुआ। शुरूआत के समय में 1G तकनीक के द्वारा उपभोक्ताओं को केवल मोबाइल के द्वारा बात करने की ही सुविधा प्रदान थी।

1 G टेक्नालाजी में  मोबाइल फोन का साईज बड़ा होने के साथ-साथ बैकग्राउड इंटरफेरेंस भी अधिक था। इसके कुछ समय बाद 2 जी तकनीक का विकास हुआ जिसमें उपभोक्ताओं को वायस काल के साथ-साथ शार्ट मैसेजिंग की सुविधा प्रदान की गयी।

सन् 2000 में 3G की शुरूआत हुयी। 3 जी टेक्नोलॉजी ने उपभोक्ताओं की जिन्दगी में क्रांतिकारी बदलाव किये। 3 जी के आने से मल्टीमीडिया मोबाइल की शुरूआत हुई जिसमें उपभोक्ताओं को वीडियो काल और मोबाइल टी.वी जैसी सुविधा प्राप्त हुई।

इसी के क्रम में सन् 2010 में, 4 जी की शुरूआत हुई जिसमें उपभोक्ताओं को तेज स्पीड के साथ-साथ एंड्रायड एप्लीकेशन की सुविधा मिली।

5G नेटवर्क क्या है

4 जी नेटवर्क के डेटा रेट की बात करें तो वह 100 Mbps से 1 Gbps तक हो सकता है जहां 1 Gbps इसका पीक डेटा रेट है और इसकी ओपरेटिंग फ्रीक्वेंसी 2GHz से  8 GHz है।

अगर हम भारत में 4 जी डेटा स्पीड बात करें तो वह औसत 11.46 Mbps  है। पूरे विश्व में 4 जी की अधिकतम स्पीड दक्षिण कोरिया में मापी गयी जो कि 102 Mbps है।

लेकिन अब समय के साथ-साथ तकनीक में बहुत कुछ बदलाव हो रहे हैं। जहां आज हमारे लिए बहुत सारी सेवाएं जैसे शिक्षा, मनोरजंन, बैंकिग और बहुत कुछ स्क्रीन पर केवल एक क्लिक से ही प्राप्त हो जाती हैं।

इसको देखते हुए मोबाइल उपभोक्ताओं  की डिमांड और उम्मीदें और ज्यादा बढ़ गयी है और अब आटोमेशन, इंटरनेट आफ थिंग्स (IoT)  टेक्नोलॉजी भी प्रसिद्धि प्राप्त कर रही  हैं।

तेज स्पीड और इंटरनेट आफ थिंग्स की मदद से एक डाक्टर के लिए यह भी संभव हुआ है कि वह दूर बैठकर इंटरनेट और रोबोट की मदद से सर्जरी कर सकता है।

परन्तु इसके लिए आवश्यक है तेज स्पीड इंटरनेट और अच्छी कनेक्टिविटि की। इन सभी जरूरतों को देखते हुए अब 5जी तकनीक को विकसित करने की योजना बनायी जा रही है। इस आर्टिकल में आप जानेगें।

5G नेटवर्क क्या है? | 5G टेक्नोलॉजी इन इंडिया | What is 5G Network?

5 जी, 5th  जेनरेशन का मोबाइल नेटवर्क है। यह 3 जी, 4 जी के बाद एक नया ग्लोबल वायरलैस स्टैन्डर्ड है। 5 जी का मतलब है उच्च मल्टी- जीबीपीएस पीक डेटा स्पीड, अल्ट्रा लो लेटेन्सी, ज्यादा भरोसा, और विशाल नेटवर्क क्षमता। 

5 जी नेटवर्क में डेटा स्पीड की बात करें तो इसका डेटा रेट 1 Gbps  से 20 Gbps तक होगा है जहां 20 Gbps इसका पीक डेटा रेट है।

यह स्पीड मौजूदा स्पीड से बहुत अधिक होगी जिससे बड़े डेटा को भी बहुत तेजी से डाउनलोड किया जा सकेगा मतलब 5 जी में 3 घंटे की मूवी को 4 सेकेण्ड में डाउनलोड किया जा सकेगा।

5 जी को मिली मीटर बेव्स पर लागू किया जाएगा जो नेटवर्क पर डेटा ट्रांसफर करने के लिए 3 से 300  GHz के बीच की फ्रीक्वेंसी  है।

5 जी को इंटरनेट आफ थिंग्स (IoT), सेल्फ ड्राइविंग कार और वर्चुअल रिएलिटि की रीढ़ माना जा रहा है। 5 जी सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसका लेटेन्सी टाइम बहुत कम है।

लेटेन्सी टाइम का मतलब है वायरलेस नेटवर्क पर डिवाइसों के द्वारा एक दूसरे को दी गयी प्रतिक्रिया के बीच का समय। 3जी नेटवर्क में लेटेन्सी टाइम 100 मिली सेकंड था, 4 जी में 30 मिलीसेकंड के आसपास है और 5 जी में यह 1 मिलीसेकंड है।

5 जी टेक्नोलाजी में रेसपांस टाइम बहुत फास्ट है और डिले टाइम  (लेटेन्सी टाइम) बहुत कम होता है।

4G और 5G नेटवर्क में तुलना | Comparison between 4G and 5G

5 G technology in hindi

 5 जी टेक्नोलॉजी  कैसे काम करती है? | How does 5G Technology Works?

5 जी टेक्नोलॉजी में मिली मीटर वेब्स जिनकी फ्रीक्वेंसी  रेंज लगभग 3 से 300 GHz के बीच होती है, का प्रयोग किया जाता है। 5 जी तकनीक को समझने के लिए पहले हम 5 जी नेटवर्क से सम्बंधित कुछ जरूरी तथ्य समझने की कोशिश करते हैं।

स्माल सेल्स :  

स्माल सेल्स, 5 जी टेक्नोलाजी की एक मुख्य विशेषता है। क्योंकि 5 जी तकनीक में मिलीमीटर वेब्स का प्रयोग किया जाता है जिनकी कनेक्शन रेंज बहुत कम होती है इसलिए, पूरे शहर में प्रत्येक 250 मीटर पर स्माल सेल्स को स्थापित करना पड़ता है ताकि किसी भी यूजर के कनेक्शन को लगातार बनाये रखा जा सके तथा यूजर को व्यापक नेटवर्क कवरेज प्रदान किया जा सके।

ये सभी स्माल सेल्स एक पोर्टेबल स्माल बेस स्टेशन की तरह होते हें जिनको संचालित करने के लिए बहुत कम पावर की आवश्यक्ता होती है।

इस तरह मिलीमीटर वेब्स की कम रेंज होने के कारण, पूरे शहर में हजारों स्माल सेल्स स्थापित करने पड़ते हैं जो कि एक सघन नेटवर्क बनाते हैं जिसे HetNet कहा जाता है।

ये सभी स्माल सेल्स एक शू बोक्स जितना छोटे होते है। इन सभी स्माल सेल्स को लाइट पोल्स और बिल्डिंग्स पर लगाया जा सकता है इस तरह किसी अलग टावर की आवश्यकता नही होती है।

इस कान्सेप्ट को साधारण भाषा में समझने की कोशिश करते हैः किसी भी बेस स्टेशन  द्वारा, कितने एरिया को कवर किया जायेगा यह तरंगों की फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करता है।

किसी सिग्नल की जितनी कम फ्रीक्वेंसी होगी वह उतनी ज्यादा दूरी तक जा सकता है। मतलब उतना ज्यादा एरिया कवर करेगा।

3जी, 4जी में सिग्नल फ्रीक्वेंसी 5जी की तुलना में कम होती थी जिससे एक बेस स्टेशन से ज्यादा एरिया को कवर किया जाता था, और ये सिग्नल आसानी से इमारतों को पार कर जाते है और वर्षा  से प्रभावित नही होते है। परन्तु 5 जी में बहुत उच्च फ्रीक्वेंसी के सिग्नल का प्रयोग किया जाता है।

उच्च फ्रीक्वेंसी की वेव्स ज्यादा दूरी को कवर नही कर पाती क्योंकि ज्यादा फ्रीक्वेंसी के सिग्नल का दूरी के साथ क्षरण ज्यादा होता है जिससे ये वेव्स ज्यादा दूरी नहीं कवर कर पाती।

ये सिग्नल इमारतों को पार नहीं कर पाते और खराब मौसम में इनका क्षरण ज्यादा होता है। इसलिए 5 जी में एक एरिया जो पहले 4जी में केवल एक बेस स्टेशन द्वारा कवर किया जा रहा था, उसे अब सैकड़ों स्माल सेल्स द्वारा कवर किया जायेगा और प्रत्येक सेल में MIMO antenna का प्रयोग किया जायेगा।

5 g technology in hindi

MIMO एण्टीना:

5G में मैक्रों और स्माल सेल्स में MIMO एण्टीना का प्रयोग किया जाता है जिनमें डेटा को एक साथ प्राप्त करने व भेजने के लिए  मल्टीपल एलीमेंटस और कनेक्शन होते हैं।

वर्तमान में 4जी बेस स्टेशन में, (ट्रैफिक को ट्रांसमिट और रिसीव करने के लिए) Antennas के लिए दर्जनो पोर्टस होते हैं वहीं 5 जी में एक बेस स्टेशन जिन्हे हम  स्माल सेल्स कह रहे हैं, सैकड़ों पोर्टस होते जिनमें बहुत सारे Antennas  को जोड़ा जा सकता है।

किसी भी एण्टीने का साइज उसके द्वारा प्रयोग की जा रही फ्रीक्वेंसी पर करता है क्योंकि 5 जी में बहुत उच्च फ्रीक्वेंसी वेव्स  का प्रयोग किया जाता है इसलिए 5जी में एन्टीना एलीमेंटस का साईज बहुत छोटा हो जाता है और इसलिए एक केस में बहुत सारे एण्टीना एलिमेंटस प्रयोग किये जा सकते है। इस कारण मोबाइल नेटवर्क की क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

बीमफार्मिंगः

बीमफार्मिंग एक तकनीक है जो सिग्नल को सभी दिशाओं के बजाय, एण्टिना से डिवाइस तक केवल एक सीध में पहुंचाता है।

यह तकनीक रेडियो सिग्नल को यूजर तक सबसे अच्छा मार्ग निर्धारित कर पहुचांने के लिए, सिग्नल प्रोसेसिंग एल्गो का उपयोग करती है। इससे दक्षता बढ़ती है और अवांछित रेडियों सिग्नल का हस्तक्षेप भी कम होता है।

5G टेक्नोलॉजी वेनिफिट्स | 5 जी नेटवर्क के फायदे | Benefits of 5G 

आने वाले सालों में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में बहुत बड़ी बृद्धी देखने को मिलेगी जिसके चलते इतनी बड़ी संख्या में इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराना एक बहुत बड़ी चुनौती है।

इसलिए सबकी निगांह अब 5 जी तकनीक पर टिकी है। वर्तमान समय में उपभोक्ताओं की डिमांड कम पैसे में हाई स्पीड डाटा है। अव 5 जी को इन सभी समस्याओं के समाधान के रूप में देखा जा रहा है।

I- Ultra HD मूवी को सेकेण्डस में डाउनलोड किया जा सकता हैः

5 जी टेक्नोलॉजी में डेटा रेट 1 Gbps से 20 Gbps तक होगा है जहां 20 Gbps इसका पीक डेटा रेट है। 5 जी में 1 Gbps की स्पीड से 3 Gb की एक मूवी को 3 सेकेण्ड मे डाउनलोड किया जा सकता है।

II- 5 G की सहायता से 20.8 विलियन डिवाईसेस को एक साथ जोड़ा जा सकता हैः

5 जी टेक्नोलॉजी में कनेक्शन डेन्सिटी 1 मिलियन प्रति वर्ग किलोमीटर है। इसका मतलब यह है कि प्रति वर्ग किलो मीटर में 1 मिलियन डिवाइस को एक साथ जोड़ा जा सकता है जिससे यह संभव हो पायेगा कि हम दूर बैठे भी अपने घर का फ्रिज, एसी और टीवी को संचालित कर सकते है।

III- मशीन से मशीन संचार संभव हो पायेगाः

5 जी तकनीक में अल्ट्रा हाई स्पीड और सुपर लो लेटन्सी के कारण एक मशीन से दूसरी मशीन के बीच कम्यूनिकेट करना बहुत आसान हो जायेगा।

IV- IoT (इंटरनेट आफ थिंग्स) की सहायता से स्मार्ट सिटी को विकसित करने में सहायता मिलेगीः

किसी भी स्मार्ट सिटी को विकसित करने में इंटरनेट आफ थिंग्स का काफी महत्व है। इंटरनेट आफ थिंग्स में काफी सीमा तक जो भी डिवाइस होते हैं वे सभी स्वचालित होते है या उन सभी को कहीं से भी नियंत्रित किया जा सकता है।

क्योंकि 5 जी प्रति वर्ग किमी क्षेत्र में विलियन डिवाइसेस को जोड़ा जा सकता है और इन सभी को अल्ट्रा लो लेटन्सी टाइम के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए स्मार्ट सिटी विकसित करने मे 5 जी का एक अहम रोल होगा।

V- लाइव स्ट्रीमिंगः

जैसा कि आप जानते हैं कि 5 जी में लेटन्सी टाइम ( 1 मिलि सेकण्ड से कम) बहुत कम होता है जिस कारण आप बहुत दूर बैठकर भी क्रिकेट मैच का आनन्द बिल्कुल लाइव मैच की तरह ले सकते हो। मतलब बिना किसी विलम्ब के आप मैच से जुडीं सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है? | What is Internet of Things?

अधिकतर लोग इंटरनेट का इस्तमाल केवल मोबाइल फोन और कंप्यूटर पर करते हैं मतलब हम लोग इंटरनेट का प्रयोग  कॉलिंग, बीडियो कॉलिंग, सर्च इंजन आदि के रूप में करते हैं।

लेकिन 5जी के आने से हमारे रोजमर्रा के काम बहुत आसान हो जायेंगें। जैसे 5 जी से हम फ्रिंज, टीवी, माइक्रोवेव ओवन, वॉशिंग मशीन और एसी को भी 5जी के द्वारा इंटरनेट से जोड़ सकेंगें व इन सभी इलैक्ट्रानिक डिवाईसों को दूर बैठे ही कंट्रोल कर सकेगें। 

5जी नेटवर्क का डिले टाइम बहुत ही कम है, जिस कारण आदेश का समय, मतलब जब हम किसी भी डिवाईस को कंट्रोल करने के लिए सिग्नल भेजेंगे तो बह बहुत जल्दी वहां पहुंचेगा।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स का एक सबसे अच्छा एप्लीकेशन यह भी होगा, आने वाले समय में विदेश में बैठे डॉक्टर रोवोटिक आर्म की सहायता से दूर बैठे ही मरीज की सर्जरी कर सकेगें।

5 जी का स्पैक्ट्रम बैंड क्या है? | What is 5G Spectrum Band?

जैसे रेडियो में अलग-अलग बैंड होते है और हर बैंड की अपनी एक अलग फ्रीकेवंसी रेंज होती है। इसी प्रकार 2जी, 3जी, 4 जी व 5जी के लिए अलग अलग फ्रीकेंवसी बैंड होते हैं।

स्पैक्ट्रम फ्रिकेंवसी की एक रेंज होती है जिसका प्रयोग मोबाइल कम्यूनिकेशन के लिए किया जाता  है। साधारणतय नेटवर्क को अलग-अलग बैंड में बांटा जाता है।

इसी प्रकार 5 जी नेटवर्क को भी अलग-अलग बैंड में बांटा गया है। 5जी नेटवर्क को भी लो, मिड  व हाई बैंड में बांटा गया है। भारत सरकार द्वारा इस वर्ष 72 गीगा हर्टज के स्पैक्ट्रम की नीलामी की जायेगी।

इनमें लो स्पैक्ट्रम ( 600 मेगा हर्टज, 700 मेगा हर्टज, 800 मेगा हर्टज, 900 मेगा हर्टज, 1800 मेगा हर्टज, 2100 मेगा हर्टज, 2300 मेगा हर्टज), मिड बैंड की 3300 मेगा हर्टज और हाई बैंड में 26 गीगा हर्टज के स्पैक्ट्रम शामिल हैं।

5जी के एप्लीकेशन क्या हैं?| Applications of 5G

1- 5जी में IPv6 टेक्नोलॉजी होने के कारण, मोबाइल का IP Address को उनके कनैक्टेड नेटवर्क और जियोग्राफिकल पोजिशन के हिसाब से प्रदान किया जायेगा।

2- इसके cognitive radio technology के माध्यम से रेडियो टेक्नोलॉजी के अलग अलग वर्जन समान स्पैक्ट्रम को अच्छी तरह से प्रयोग कर सकते हैंं।

3- 5जी नेटवर्क के माध्यम से अधिक ऊंचाई पर रहने वाले लोग आसानी से रेडियो सिग्नल प्राप्त कर सकते  हैं।

 5 G टेक्नोलॉजी चैलेंजेस | 5 जी नेटवर्क के नुकसान

1-कॉम्प्लेक्स नेटवर्क एंड कॉस्ट टू बिल्डः

5 जी टेक्नोलाजी में उच्च आवृति की मिलीमीटर वेव्स का प्रयोग किया जाता है। इन वेव्स की फ्रीक्वेंसी हाई होने के कारण, ये तरंगे किसी भी इमारत और बाधा को पार करनें असमर्थ रहती हैं और साथ ही वर्षा और वनस्पति द्वारा अवशोषित होती है।

इसलिए सभी उपभोक्ताओं को नेटवर्क कवरेज देने के लिए थोड़ी-थोड़ी दूर पर बेस स्टेशन स्थापित करने पड़ेगें। इसलिए नेटवर्क कम्पनियों को बड़ा नेटवर्क स्थापित करना पड़ेगा जिसके लिए बहुत इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा।

2- उपभोक्ताओं को 5 जी नेटवर्क प्रयोग करने के लिए, नया 5जी मोबाइल फोन खरीदना पड़ेगा जिसका मूल्य शुरूआत में ज्यादा हो सकता है।  

3नये फ्रीक्वेंसी स्पैक्ट्रम की आवशयक्ता होगी।

4- 5 जी टेक्नोलॉजी में सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर खतरा हो सकता है।

भारत में 5जी नेटवर्क के लॉन्च तिथि

DoT, यानि डिपार्टमेंड ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन नें वर्ष 2022 के अंत तक भारत के 13 शहरों में 5जी नेटवर्क के इंस्टालेशन की पुष्टि की है। इन शहरों में दिल्ली, मुंबई, कोलकत्ता, चेन्नई, गुरूग्राम, बैंगलोर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, जामनगर, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ और गांधीनगर शहर शामिल हैं। इन सभी शहरो में टेलीकॉम कम्पनियों ने अपनी परीक्षण साइटें स्थापित कर काम शुरू कर दिया गया।

इलैक्ट्रिक कार के बारे में जानने के लिए पढ़े- Click here

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