ग्रहों के बारे में जानकारी एवं ग्रहों के उपाय

ग्रहों के बारे में जानकारी एवं ग्रहों के उपाय

कुंडली में ग्रहों और उनकी अवस्था के अनुसार, ग्रहों की महादशा और उनकी अन्तर्दशा के अनुरूप उपाय किये जाते हैं। उपाय करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि रत्न हमेशा योगकारक ग्रहों की पावर बढ़ाने के लिए पहना जाता है।

मारक ग्रहों के लिए रत्न कभी नही पहनना चाहिए। बीजमंत्र योगकारक व मारक दोनो के लिए पढ़ा जा सकता है। दान हमेशा मारक ग्रहों के लिए किया जाता है। योगकारक ग्रहों के लिए कभी दान नही किया जाता है।

ग्रह और उनसे सम्बंधित उपाय

ग्रहों के बीज मंत्रः

सूर्य बीज मंत्रः  ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।

चंद्रमा बीज मंत्रः ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः।

मंगल बीज मंत्रः ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।

बुध बीज मंत्रः ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

गुरू बीज मंत्रः ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

शुक्र बीज मंत्रः ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।

शनि बीज मंत्रः ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

राहु बीज मंत्रः ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।

केतु बीज मंत्रः ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।

ग्रहों के दानः

सूर्यः तांवा, गेहूं, गुड़, सूर्य को जल चढ़ायें।

चन्द्रः सफेद वस्त्र, चांदी, चावल, दूध, पानी, ( सोमवार को दूध नही पीना)

मंगलः लाल वस्त्र, तांवा, मसूर की दाल, मीठी रोटी, गरीब को भोजन कराना (मंगलवार)

बुधः हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग की दाल, तुलसी में पानी दें।

बृहस्पतिः चीनी, केला, पीले वस्त्र, नमक, मिठाई, हल्दी, गुरूजन से आशीर्वाद

शुक्रः रंगीन वस्त्र, इत्र, चन्दन, कपूर, चीनी, शुक्रबार को कन्यादान में पैसे दें।

शनिः काला वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल, सरसों का तेल, स्टील वर्तन, संध्या में दान

राहूः काले तिल, नारियल, कम्बल काला या नीला, मीठी रोटी कौए को शनिवार को

केतुः तिल सफेद, नारियल, उड़द दाल, लोहा, कम्बल, भूरे रंग की वस्तु या वस्त्र, कुत्ते को रोटी दें मंगलवार को।

ग्रहों के रत्नः

 बहृस्पति का रत्नः गुरू के लिए पुखराज को सीधे हाथ की तर्जनी अंगुली में पहना जाता है। पुखराज को सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए।

शनिः शनि के लिए नीलम को सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में पहना जाता है। नीलम को पंच धातु और पीतल की अंगूठी में पहनना चाहिए।

सूर्यः सूर्य के लिए माणिक को हाथ की अनामिका अंगुली में पहना जाता है। माणिक को सोने, पीतल व पंच धातु में पहना जा सकता है।

बुधः बुध के लिए पन्ना को हाथ की कनिष्का अंगुली में पहना जाता है। पन्ना को चांदी में पहना जाता है।

मंगलः मंगल के लिए मूंगा, को हाथ की मध्यमा, तर्जनी व अनामिका में धारण  किया जाता है। मूंगा को सोने, पीतल व पंच धातु में पहना जाता है।

चंद्रः चंन्द्रमा के लिए मोती को हाथ की कनिष्का अंगुली में धारण किया जाता है। मोती को चांदी में पहना जाता है।

शुक्रः शुक्र के लिए हीरा रत्न को हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए। हीरे को चांदी में पहना जा सकता है।

राहुः राहु के लिए गोमेद को कनिष्का अंगुली में पहनना चाहिए। गोमेद चांदी में पहना जा सकता है।

केतुः केतु के लिए लहसुनिया रत्न सूर्योदय से पूर्व पंचधातु की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए।

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