कार्बन टैक्स क्या है?
कार्बन टैक्स एक पर्यावरण टैक्स है जो के कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर लगाया जाता है। यह कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर जीवाश्म ईंधनों के उत्पादन, वितरण एवं उपयोग पर शुल्क लगाया जाता है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है।
यह टैक्स सरकार द्वारा कार्बन के उत्सर्जन पर प्रति टन मूल्य के आधार पर निर्धारित करती है। यह टैक्स अधिक कार्बन उत्सर्जन ईंधन के उपयोग को महंगा कर देता है और इस तरह के ईंधनों के प्रयोग को हतोत्साहित करता है।
10 सितम्बर 2009 को फ्रांस ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन पर रोक लगाने के लिए कार्बन टैक्स अध्यारोपित करने की घोषणा की थी।
यह टैक्स वर्ष 2010 से प्रभावी है। इसकी दर 17 यूरो प्रतिटन कार्बन डाइऑक्साइड होगी। फ्रांस अब तक का सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहाँ इस प्रकार का टैक्स लगेगा।
ध्यातव्य है कि कार्बन टैक्स सर्वप्रथम 1990 में फिनलैण्ड ने लगाया था। इसके पश्चात 1990 में ही नीदरलैण्ड एवं नार्वे ने भी यह टैक्स लगाया था।
1 जनवरी 1991 से स्वीडन में यह टैक्स लागू है। इटली, न्यूजीलैण्ड, स्लोवेनिया अन्य देश हैं, जहाँ कार्बन टैक्स लागू है।
भारत में कार्बन टैक्स 1 जुलाई 2010 लागू कर दिया गया है। वर्तमान में प्रति मीट्रिग टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन पर 50 रूपये कर संबंधित कम्पनी को देना पड़ता है।
कार्बन टैक्स लागू करने फायदेः
- यह टैक्स लोगों को वैकल्पिक ऊर्जो के स्रोतों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करता है।
- कार्बन टैक्स के कारण बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाले उधोग कम हो जाते हैं जिससे पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर कम होता है।
- यह टैक्स सरकार के राजस्व बढ़ाने में सहायता करता है।