नवग्रहों में बृहस्पति को गुरू और काउन्सिलिंग का कारक माना जाता है। बृहस्पति पीला रंग, स्वर्ण, वित्त, कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, संस्कारों को नियंत्रित करता है।
शरीर में पाचन तंत्र विशेषरूप से लिवर, शरीर में फैट (मोटापा) और आयु की अवधि को निर्धारित करता है। महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है।
बृहस्पति से पीड़ित होने के लक्षणः
बृहस्पति के कमजोर होने से संस्कार कमजोर होते हैं। विधा, धन प्राप्ति में बाधा के साथ-साथ वड़ो का सहयोग भी नहीं मिलता। अगर कुंडली में बृहस्पति खराब हो तो पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है।
लिवर की गंभीर समस्याएं होती है। व्यक्ति को संतान सुख मिलने में परेशानी होती है। बृहस्पति के पीड़ित होने पर व्यक्ति निम्न कर्म की और झुकाव रखता है। बड़ो का सम्मान नहीं करता।
शुभ बृहस्पति के लक्षणः
बृहस्पति के शुभ होने पर व्यक्ति विद्धान और ज्ञानी होता है और वह मान-सम्मान पाता है। बृहस्पति के अच्छा होने पर व्यक्ति के दैवीय कृपा रहती है।
व्यक्ति जीवन में समस्याओं से बच जाता है। ऐसे लोग धर्म, कानून, बैंक के कार्यों में देखे जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में वृहस्पति शुभ है तो ऐसे व्यक्ति बहुत अच्छे काउंसलर होते है, ऐसे व्यक्ति प्रवचन बहुत अच्छा देते हैं।
बृहस्पति केंद्र में हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो मुश्किलें दूर हो जाती हैं। बृहस्पति के बहुत ज्यादा शुभ होने पर व्यक्ति अंहकारी और भोजन प्रिय बन जाता है।
बृहस्पति का रत्नः
बृहस्पति का रत्न पुखराज है। पुखराज को सोने की अंगूठी में तर्जनी अंगुली में बृहस्पतिवार के दिन धारण करना चाहिए।
बृहस्पति के कारक तत्वः
ज्योतिष में बृहस्पति ज्ञान, ज्योतिष, परामर्श, गुरू, धन, शरीर में फैट, दान, पुत्र, विवाह, संतान, पति, लिवर, हार्निया, जांघ, शिक्षा, बड़ा भाई, मंत्र, मीठा खाद्य पदार्थ, विश्वविद्यालय, तीर्थयात्रा, विवेक आदि का कारक है।
बृहस्पति का बैदिक मंत्रः
ॐ बृं बृहस्पते नमः
तांत्रिक मंत्रः ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
बृहस्पति ग्रह का उपायः
- बृहस्पति बार का उपवास रखें और इस दिन नमक का सेवन ना करें। सूर्यास्त के पहले मीठे भोजन के सेवन करें।
- घर के पिछले हिस्से में केले का पेड़ लगायें और रोज उसमें जल डालें।
- बृहस्पति के मंत्रों का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- घर के बुजुर्गों का सम्मान करें।
- बृहस्पति अशुभ है तो गले में सोना धारण ना करें।
- रोज सुबह हल्दी मिलाकर सूर्य को जल दें।
- एक सोने या पीतल का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें।
- बरगद की जड़ को पीले धागे में लपेटकर गले में पहनें।
- नित्य सूर्योदय के पहले गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें।
- हर गुरूवार को चने की दाल, केले को लक्ष्मी नारायण मंदिर अर्पित करें।
- गुरूवार को पीले रंग का रूमाल अपने पास रखें।
- गुरूवार को सिर और कपड़े ना धोएं।