छाया दान क्या होता है?
छाया दान एक विशेष प्रकार का दान है जिसमें व्यक्ति अपने आप को दान करता है। यह दान करने की बहुत प्राचीन विधि है। छाया दान को
जातक को जब शनि ग्रह से सम्बंधित कष्ट होते हैं तब छाया दान किया जाता है। जैसे जब जातक को शनि की साढ़े साती चल रही हो या शनि की ढैया,पनौती चल रही हो या शनि जब कुंडली में मारक अवस्था में हो और उसकी महादशा या अन्तरदशा चल रही हो तब इन अवस्थाओं में शनि के कुप्रभावों से बचने के लिए जातक को छाया दान करना चाहिए।
यह एक बहुत ही प्रभावशाली दान माना जाता है। इस दान को करने से जातक को शारीरिक, वित्तीय और अन्य प्रकार की समस्याओं में तुरन्त लाभ मिलता है।
छाया दान कैसे होता है?| छाया पात्र क्या होता है?
छाया दान को करने कई विधि है, नीचे जो विधि बतायी जा रही हैं, इस विधि से आप आसानी से यह दान कर सकते हैं और अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
आपको एक मिट्टी का पात्र लेना है या आप एक कांसे या स्टील की कटोरी भी ले सकते हैं। इनमें से किसी भी पात्र में आपको सरसों का तेल भरना है और इसमें एक रूपये का सिक्का डालना है। इस पात्र में पीड़ित व्यक्ति को अपनी छाया देखनी है।
अपनी छाया देखने के बाद, आपको यह तेल (कटोरी सहित या बिना इसके) शनिवार के दिन किसी तेल मांगने वाले व्यक्ति को दान कर देना है या किसी शनि मंदिर में इस तेल को चढ़ा देना है। ऐसा करने से आपका छाया दान पूर्ण हो जाता है।
छाया दिन किस दिन करना चाहिए?
छाया दान को शनिवार के दिन करना चाहिए। यह दान शनि देव के लिए होता है इसलिए इस दान को शनिवार के दिन शुभ और प्रभावशाली माना जाता है।
छाया दान मंत्रः
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्.
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
छाया दान के लाभः
अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रोगों से पीड़ित है तो उसके लिए छाया दान का बहुत लाभ है। ऐसे व्यक्ति को छाया दान अवश्य करना चाहिए।
छाया दान करने से व्यक्ति अपने जीवन में तरक्की प्राप्त करता है। शनि के दुष्प्रभावों के कारण व्यक्ति के जीवन में जो व्यवधान आते हैं उन सभी से व्यक्ति को छुटकारा मिलता है।
व्यक्ति को शनिदेव की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। छाया दान से व्यक्ति में नकारात्मक विचार व घर के अन्दर बुराईयों का अंत होता है।
छाया दान करने से व्यक्ति के अन्दर जो भी नकारात्मकता होती है या जो भी पीड़ा होती है, ये सभी आपकी छाया के साथ दान में चले जाते हैं। व्यक्ति के अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को निरोगिता मिलती है।
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