कीटो डाइट को आज विश्व भर में वजन कम करने के लिए एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इंडियन कीटो डाइट प्लान को आज बहुत सारी मशहूर हस्तियों के द्वारा अपनाया जा रहा है। आजकल के लाइफस्टाइल में अधिकांश युवा मोटापे से ग्रसित हैं।
ज्यादातर देशों में अधिकांश युवा लाइफ स्टाइल डिजीज जैसे रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा आदि से ग्रसित होते जा रहे हैं। इन सभी बीमारियों के निवारण के लिए कीटो डाडट एक अच्छा विकल्प है। इस आर्टिकल में हम आपको कीटो डाइट से सम्बंधित सभी जानकारियां विस्तार से दे रहे हैं।
इस आर्टिकल में आप जानेगें….
- कीटो डाइट क्या है?
- कीटो डाइट कैसे काम करती है?
- कीटो डाइट के लाभ
- योयो इफेकट्स
- इंडियन कीटो डाइट प्लान
- कीटो डाइट के साइड इफेक्ट्स
कीटो डाइट क्या है?| What is Keto diet
कीटो डाइट को लो कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट डाइट के नाम से भी जाना जाता है। इस डाइट में शरीर लीवर में बनने वाले कीटोन्स को ऊर्जो के रूप में इस्तेमाल करता है।
जब हमारे द्वारा अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन किया जाता है तो शरीर में सर्वप्रथम ग्लूकोज बनता है फिर इन्सुलिन के द्वारा यह ग्लूकोज शरीर के प्रत्येक सेल तक पहुचांया जाता है।
जहां स्थित माइट्रोकाण्ड्रिया में आक्सीजन और ग्लूकोज की सहायता से ऊर्जा का उत्पादन होता है। यही ऊर्जा हमारे शरीर द्वारा विभिन्न कार्यो में उपयोग की जाती है।
क्योकिं शरीर के द्वारा ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए प्राथमिक घटक के रुप में प्रयोग किया जाता है। इसलिए शरीर में ऊर्जा के लिए फैट का इस्तेमाल नही किया जाता है।
इस प्रकार जब हमारे द्वारा अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन का सेवन किया जाता है तो शरीर में अधिक ग्लूकोज की उपलब्धता के कारण हमारा शरीर ऊर्जा के उत्पादन के लिए, शरीर में उपस्थित फैट का उपयोग नही कर पाता और यह फैट शरीर में जमा होना शुरू हो जाता है जिस कारण हमारा वजन बढ़ता है।
ज्यादातर विकासशील देशों में अधिकतर लोगों के आहार का मुख्य अंश (लगभग 80 प्रतिशत) कार्बोहाइड्रेट होता है। जिस कारण हमारा शरीर ग्लूकोज को ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है।
किटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को बहुत कम कर दिया जाता है जिससे शरीर में कीटोसिस की स्थित उत्पन्न हो जाती है।
किटोसिस वह स्थित है जिसमें लीवर फैट को गलाकर कीटोन्स में बदलता है और शरीर में कीटोन्स का उत्पादन होता है जिनसे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।
कीटोन्स एनर्जी का एक ऐसा दूसरा विकल्प है जो पूरे शरीर में ऊर्जा की आपूर्ति करता है। प्रत्येक व्यक्ति को अलग संख्या के कीटोन्स की आवश्यकता होती है।
हमारे आहार में न्यूट्रिशियन के आधार पर मुख्यतः तीन घटक होते है जैसे वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट। पुराने जमाने में जो भी डाइट प्लान बनता था उसमे कहा जाता था कि आप वसा और तेल कम खायें।
इससे वजन कम तो होता था पर उतना नही जितना हम चाहते थे। शोध में यह देखा गया है कि खाने में वसा कम करने से, बजन तो कम होता है परन्तु जब हम इसे लंबे समय तक अपनायें।
इंडियन कीटो डाइट प्लान वो डाइट है जो कि वजन कम के लिए आजकल अधिकतर लोगों के द्वारा अपनायी जा रही है।
आज हम देखते है कुछ लोग बहुत जल्दी पतले हो जाते है, ये सभी वही लोग हैं जो कीटो डाइट को अपना रहे है।
कीटो डाइट में हम अपने खाने में से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को बहुत ज्यादा कम कर देते है, वसा की मात्रा बढ़ा देते है और प्रोटीन सामान्य मात्रा में लेते है।
इसमे बहुत ज्यादा गलत धारणा है कि प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी होती है परन्तु आपको प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी नही है बल्कि अपने शरीर के वजन के अनुसार जितना प्रोटीन लेना चाहिए उतना आपको लेना है। इससे ज्यादा लेगें तो वह उच्च प्रोटीन डाइट मानी जाएगी ना कि कीटो डाइट।
इस डाइट में कार्वोहाइड्रेट की मात्रा इतनी कम हो जाती है जिससे कि उपवास और अनसन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है।
कीटो डाइट मेंः
1- आहार में कार्वोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम ली जाती है ( 5 प्रतिशत)
2- फैट की मात्रा बहुत अधिक ली जाती है ( 70 प्रतिशत)
3- प्रोटीन की संतुलित मात्रा ली जाती है ( 25 प्रतिशत)
कीटो डाइट कैसे काम करती है?
सबसे पहले प्रश्न यह है कि जव आप इंडियन कीटो डाइट प्लान को अपनाते है या आप कुछ दिनों तक खाना नही खातें है या ज्यादा व्यायाम करते है तो क्या होता है।
सबसे पहले शरीर के अन्दर जितना भी ग्लूकोज स्टोर है मतलब जो ग्लूकोज, ग्लाइकोजन के रूप में लीवर में संग्रहित रहता है, वह खर्च होता है।
इस ग्लूकोज के खर्च होने पर, शरीर सबसे पहले नया ग्लूकोज बनाना शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया को हम ग्लूकोन्यूजेनिसिस कहते है और ये ग्लूकोन्यूजेनिसिस आपके अमीनो एसिड, प्रोटीन से होता है और ये प्रोटीन वो प्रोटीन है जो आपके डाइट से आते है या फिर ऊतको के टूटने से प्राप्त होते है।
जब आप खाना नही खाते है या कीटो डाइट को अपनाते है तो पहले दिन ये ग्लूकोअमाइनोएसिड आपके शरीर को ग्लूकोज प्रदान करते है।
इस तरह ग्लूकोज बनाने में शरीर को बहुत ज्यादा ऊर्जा लगानी पड़ती है। तो इस प्रकार पहले दिन में 500 किलो कैलारी तक ऊर्जा खर्च होती है।
धीरे-धीरे ये प्रक्रिया कम होना शुरू हो जाती है और फिर ग्लूकोज आपके शरीर में फैट व ट्राइग्लिसराइड से बनना शुरू हो जाता है।
इसमें फैट व ट्राइग्लिसराइड के टूटने से ग्लूकोज वनता है। इस प्रक्रिया का एक बाइ प्रोडक्ट है कीटोंस और ये कीटोंस आपके शरीर में जमा होते है।
इसलिए इसे कीटोजेनिक डाइट कहते है। कीटोंस एक तरह के एसिड है जिसकी मात्रा अगर सामान्य लेवल से बढ़ जाए तो इसके काफी साइड इफेक्टस हो सकते है।
इसके साइड इफेक्टस दिमाग, किडनी और शरीर के ऊपर हो सकते है।
अगर आप कीटो डाइट को सही तरीके से, डाक्टर की देखरेख में फोलो करें तो यह देखा गया है कि किटोंस का लेवल शरीर में 7 से 8 मिली मोल प्रति लीटर के ऊपर नही जाता।
इसे फिजियोलाजिकल कीटोसिस कहते है। इसका मतलब यह है कि कीटोंस की इतनी मात्रा शरीर में बनें जो आपको नुकसान ना पहुचायें। इस प्रक्रिया में कीटोंस का प्रयोग हम ऊर्जा के लिए करते है।
कीटोंस से भी ऊर्जा बनती है और ये कीटोन्स टूटकर एसीटोन बनाते है। जो कि फेफड़ो के द्वारा वाहर निकलते है। शोध से यह पता चला है कि कि कीटोन्स से भूख पैदा करने वाले केन्द्र की क्रियाशीलता कम हो जाती है।
इसका अर्थ यह हुआ कि कीटोन्स आपकी भूख कम करते है। प्रारम्भ में जव आप खाना नही खाते हो तो आपको कमजोरी महसूस होती है लेकिन जव सीमित मात्रा में कीटोन्स पैदा होते है तो वे मूड भी अच्छा करते है।
लेकिन अगर आपने इस डाइट को सही तरीके से फोलो नही किया है यह डाइट नुकसानदायक भी हो सकती है। इस डाइट को आप 2-3 सप्ताह से लेकर 6-12 महीन तक फोलो कर सकते है।
कीटो डाइट बेनिफिट्स
1- भूख कम लगती है।
2- वजन कम होता है।
2- आपके शरीर में, फैट बनना बंद हो जाता है और फैट टूटना तेज हो जाता है।
3- आपके शरीर में मेटावालिक प्रोसस बहुत तेज हो जाता है और इस मेटाबालिक प्रोसेस में बहुत ज्यादा ऊर्जा ख्रर्च होती है।
4- इस डाइट में आपका शुगर लेवल नियन्त्रित हो जाता है।
5- कोलस्ट्राल लेवल नियन्त्रित हो जाता है।
6- जीवन प्रत्याशा बढ़ती है।
7- ह्रदय रोग का खतरा कम हो जाता है
8- कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
योयो इफ़ेक्ट:
किसी भी डाइट में यह देखा गया है कि जब उस डाइट का अनुसरण बंद किया जाता है तो वजन बढ़ना होना शुरू हो जाता है और बजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
यही बात इंडियन कीटो डाइट प्लान पर भी लागू होती है। इसे योयो प्रभाव कहा जाता है। जब आपके शरीर में ग्लूकोज नही है तो आपके शरीर का प्रत्येक ऊतक कम ग्लूकोज को भी अच्छी तरह इस्तेमाल करता है।
क्योंकि शरीर में ग्लूकोज का बनना बंद हो चुका है इसलिए शरीर की ग्लूकोसेसिंटिविटी बढ़ जाती है। इस प्रकार अगर आप डाइट को बंद करते है तो आपका वजन एकदम बढ़ सकता है।
इसलिए कीटो डाइट से सामान्य डाइट के बीच एक ट्रासिंशियन फेस होना बहुत जरूरी है। मतलब आपको इसके बीच मैडेटिरियन डाइट अपनानी चाहिए।
इंडिययन कीटो डाइट प्लानः
इस डाइट में आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना है। आपको प्रत्येक दिन के नाश्ते, लंच, और डिनर में अपने सम्पूर्ण आहार में ऐसे खाध्य पदार्थों को ऱखना है जिनमें 70 प्रतिशत वसा की मात्रा, 25 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा और 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट की मात्रा हो।
इन प्रतिशत के आधार पर, नीचे कुछ उच्च वसा युक्त खाध्य पदार्थो, प्रोटीन युक्त खाध्य पदार्थो एवं कार्बोहाइड्रेट युक्त खाध्य पदार्थो के नाम दिये गये है जिन्हे आप अपने आहार में प्रतिशत के आधार पर शामिल कर सकते है।
उच्च वसा युक्त खाध्य पदार्थः
1- अवाकाडो
2- पनीर
3- अंडे
4- फैट फिस
5- नट्स
6- चिया सीड्स
7- आलिव आयल
8- वसा युक्त दही
9- पीनट वटर
10- डार्क चाकलेट
निम्न कार्वोहाइड्रेट युक्त खाध्य पदार्थः
1- पत्ते युक्त हरी सब्जियां
2- फूल गोभी, ब्रोकली
3- फल जैसे सेब
4- ब्लू बैरीज और स्ट्राबैरीज
प्रोटीन युक्त खाध्य पदार्थः
1- दूध
2- सी फूड
3- पनीर
4- दही
5- अंडे
6- बींस ( फलियां)
7- सोया
What to eat on keto diet: आहार जो आपको लेना है।
1- मीट- जैसे चिकन, मटन
2- मछली
3- अण्डे
4- मक्खन और क्रीम
5- पनीर
6- तेल
7- कम कोर्वोहाइड्रेट वाली सब्जी
आहार जो आपको नही लेना है
1- ऐसे पदार्थ जिनमें शुगर की मात्रा अधिक हो
2- चावल, गेहूं से वने उत्पाद, पास्ता
3- फल
4- फलियां
5- सभी जड़ वाली सब्जियां जैसे आलू, गाजर
6- एल्कोहल
7- कम वसा युक्त पदार्थ
कीटो डाइट साइड इफेक्ट्स
1-कीटो डाइट में अधिक मात्रा में फैट लिया जाता है इसके अनुसार हमारे शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़नी चाहिए।
लेकिन ऐसा नही होता बल्कि कीटो डाइट में टोटल कोलेस्ट्राल, एल.डी.एल व ट्राईग्लिसराइड की मात्रा कम हो जाती है और गुड कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योकिं सम्पूर्ण फैट, ग्लूकोज बनाने में खर्च हो जाता है।
क्योकिं हमारे शरीर का मेटावोलेक प्रोसस बहुत तेज हो जाता है इसलिए कोलेस्ट्राल सिन्थेसिस की प्रक्रिया बंद हो जाती है।
इस प्रकार अगर हम अपनी डाइट में प्रोटीन ज्यादा खायेगें और फैट कम खायेंगे तो हमारे शरीर को कोलेस्ट्राल भी बनाना पड़ेगा। इसलिए कीटो डाइट मे फैट ज्यादा खाना चाहिए।
2-कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत कम कर दी जाती है जिस कारण शरीर को ग्लूकोज का निर्माण करना पड़ता है।
जिससे शरीर में ग्लूकोज सेंसटिविटि बढ़ जाती है। इस प्रकार जब आप कीटो डाइट बंद करते है तो सामान्य डाइट से भी आपका वजन बढ़ सकता है।
आपकी शुगर की बढ़ सकती है क्योंकि आपकी शुगर सक्रियता बढ़ चुकी है। इसलिए कीटो डाइट से सामन्य डाइट में आने से पहले एक संक्रमण दौर जरूरी है मतलब आपको इन दोनो के बीच मैडेटिरियन डाइट अपनानी चाहिए।
3-कीटो डाइट का प्रभाव किडनी पर भी देखा गया है क्योंकि इस डाइट में शरीर का मेटावालिज्म रेट बढ़ जाता है जिस कारण किडनी के उत्सर्जन की दर भी बढ़ जाती है क्योंकि किडनी को ऐसे सभी बिषैले पदार्थ बाहर निकालने पड़ते है।
शरीर में प्रोटीन के क्षरण से नाइट्रोजन आक्साइड का उत्पादन होता है जिससे किडनी का फिल्टरेशन रेट बढ़ता है।
एमाइनो एसिड जो ग्लूकोज बनाने मे उपयोग होते है उनका एक दूसरा उपयोग शरीर में रक्त चाप को कम रखने में होता है।
जब इनका उपयोग अधिक होता है तो आपका रक्तचाप बढ़ सकता है। इसलिए इस डाइट में रक्तचाप को मानिटर करना आवश्यक होता है।
4-लंबे समय तक कीटो डाइट को अपनाने से शरीर में लिपिड लेबल बढ़ने लगता है और ग्लूकोज इनटालरेंस बढ़ जाता है इस प्रकार जब भी आप ग्लूकोज लेते है तो शरीर उसको सहन नही कर पाता।
जिस कारण लीवर मे फैट इक्टठा होना शुरू हो जाता है। पेनक्रियाज के अल्फा एंव बीटा सेल भी मर सकते है और हड्डियों में मेटाबालिज्म कम हो जाता है।
वीगन डाइट के बारे में जानने के लिए पढ़े- Click here